बीकानेर। नत्थूसर गेट के अंदर स्थित पूना महाराज की कोटड़ी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में आज आठवें दिन श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का सुंदर विस्तृत वर्णन सुनाया। कृष्ण-सुदामा की मित्रता की कथा सुनकर वहां उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। सुदामा की दयनीय दशा और भगवान में निष्ठा के प्रसंग को सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें भर आई। संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के समापन अवसर पर कथावाचक अरुण कृष्ण व्यास ने श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र का विस्तृत वर्णन सुनाया। उन्होंने बताया कि सुदामा के लिए धन की कोई कमी नहीं थी। सुदामा के पास विद्वता थी और धनार्जन तो सुदामा उससे भी कर सकते थे। मगर सुदामा पेट के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के लिए कर्म कर रहे थे। वे आत्म कल्याण को प्राथमिकता देते थे। भागवत जैसा ग्रंथ एक दरिद्र को प्रसन्नात्मा जितेंद्रिय शब्द से अलंकृत नहीं कर सकता। जिसे भागवत ही परमशांत कहती हो उसे कौन दरिद्र घोषित कर सकता है। पत्नी के कहने पर सुदामा का द्वारिका आगमन और प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा के सत्कार पर कथावाचक अरुण कृष्ण व्यास ने कहा कि यह व्यक्ति का नहीं व्यक्तित्व का सत्कार है। यह चित की नहीं चरित्र की पूजा है। सुदामा की निष्ठा और सुदामा के त्याग का सम्मान है। कथा वाचक ने बताया कि मित्रता में बदले की भावना का स्थान नहीं होना चाहिए। भागवताचार्य द्वारा भजनों के माध्यम से प्रभु की अतिकरूणा, कृपा वृष्टि की लीलाओं का श्रवण कर सभी श्रोता भावुक हो गए। इस दौरान कृष्ण-सुदामा की मनोहारी झांकी के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान कृष्ण के स्वरूप ने जैसे ही सुदामा बने स्वरूप के पैर धोए पंडाल में मौजूद श्रोता भावुक हो गए। कथा के दौरान भजनामृत की फुहार पर श्रोताओं का तन-मन झूम उठा। इस मौके पर कथा श्रवण के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु कथा पंडाल में मौजूद थे। आयोजनकर्ता भानु प्रकाश व्यास बैंगलुरू वालों ने बताया कि आज गुरुवार को कथा ज्ञानयज्ञ की पुर्णाहुतियां दी गई। इस अवसर पर कौशल्या व्यास, विकास व्यास, शिवानी व्यास, अमित कुमार व्यास, शिवकुमार किराडू, झंवरलाल किराडुु, भवानीशंकर किराडू, मनुऋषि व्यास, कुंजलाल व्यास, रामजी व्यास, श्यामसुंदर व्यास, गोपाल व्यास, रामकुमार, श्याम सुंदर, राकेश, कार्तिक, ओमशंकर किराडू, आदित्य विक्रम किराडू, शुभम लाल, चंदू, नन्दू, भईया, बल्लभ, आसु आदि मौजूद रहे।