बीकानेर। स्थानीय गर्वमेन्ट प्रेस रोड स्थित गोपीनाथ मंदिर में रविवार को महेंद्र सिंह राजपुरोहित की स्मृति में शहरी जन कल्याण सेवा संस्थान एवं श्री राम रामलीला कमेटी द्वारा रामलीला का शुभारंभ हुआ। जिसका विधि विधान से पूजन न्यास के पूर्व अध्यक्ष महावीर रांका व रमेश सैनी द्वारा किया गया।

इस मौके पर गणेश जी की महाआरती की गई। संयोजक खुशालचंद व्यास ने बताया कि प्रथम दिन नारद मोह लीला का मंचन किया। इसमें प्रथम दृश्य में देव ऋषि नारद तप करते हैं और इंद्र का सिंहासन डोल उठता है। गुप्तचर बताता है देव ऋ षि तप कर रहे हैं। इस प्रकार इंद्र कामदेव को उनकी तपस्या भंग करने को भेजते हैं। कामदेव सभी अप्सराओं को लेकर जाते हैं। देव ऋ षि नारद की तपस्या भंग करने की कोशिश करते हैं।

इस प्रकार कामदेव तपस्या भंग नहीं कर पाते है और हार मान लेते हैं। इस हार को देखकर नारद के अंदर अभिमान उत्पन्न हो जाता है। और वह कहते हैं मैंने क ामदेव को जीत लिया। सारा वृतांत ब्रह्मा एवं भगवान शंकर को सुनाते हैं।
भगवान शंकर अपने दूत जय और विजय को भेज देते हैं। यह पता लगाने को की नारद जी क्या कर रहे हैं। इसी प्रकार वह भगवान विष्णु के पास पहुंचते हैं और सारा बातें सुनाते हैं।

भगवान विष्णु को यह लगता हैं। नारद जी के मन में अभिमान उत्पन्न हो गया है। उसको दूर करना मेरा कर्तव्य है। वह लक्ष्मी से कहते हैं। तुम एक सुंदर नगर का निर्माण करों और सील निधि को वहां का राजा बनाओ। अपने आप उनकी बेटी विश्व मोहिनी बन कर रहो। इस प्रकार नारद उस नगर से गुजरते हैं और राजा के दरबार में पहुंचते हैं और विश्व मोहनी को देखकर विवाह करने की इच्छा होती है।

सुंदर रूप मांगने के लिए भगवान विष्णु से विनती करते हैं। इस प्रकार भगवान विष्णु उनको वानर का रूप दे देते हैं। इसका जब नारद को पता चलता है तो वह गुस्से में भगवान विष्णु को श्राप देते हैं। दशरथ श्रावण स ंवाद हुआ। रामलीला में कलाकारों अपनी बेहतरीन कला का प्रदर्शन किया। पहले दिन दर्शाया गया कि राजा दशरथ जब शिकार के लिए जाते हैं तो शिकार के दौरान निकला तीर श्रवण को लग जाता है।

उसके बाद श्रावण के माता-पिता उन्हें भी पुत्र वियोग का श्राप दे देते हैं। जिसमें श्रावण की मौत हो जाती है। इस मार्मिक दृश्य को देख कर उपस्थित दर्शकों के आंखों में आंसू निकल आए। रामलीला म ंचन में श्रवण की भूमिका शशांक,नारद की गोपाल,विष्णु की दयाराम ने निभाई।