शोध ग्रन्थ लिखने के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय लेखनशाला सम्पन्न

बीकानेर। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवता प्रमाणन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आज राष्ट्रीय लेखनशाला का आयोजन किया गया।

प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि लेखनशाला के मुख्य वक्ता वद्र्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के प्रो. दिनेश गुप्ता रहे। प्रो. अग्रवाल ने लेखनशाला की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए आंतरिक गुणवत्ता प्रमाणन प्रकोष्ठ की महत्ता के बारे में बताया।

लेखनशाला मे उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त दो तकनीकी सत्र आयोजित किये गये, जिसमें प्रथम सत्र में शोध प्रारूप तथा द्वितीय सत्र में पीएच.डी. शोध ग्रन्थ लिखने के विभिन्न पहलुओं के बारे में शोध निर्देशकों एवं शोधार्थियों को अवगत कराया गया। प्रो. अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में शोध अंतराल, शोध परिकल्पना तथा विभिन्न शोध जर्नल्स एवं टूल्स के उपयोग के बारे में शोधार्थियों को जानकारी दी।

मुख्य वक्ता प्रो. दिनेश गुप्ता ने शोध प्रारूप को लिखने के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। शोध साहित्य को एकत्र करने से पूर्व उसके स्रोत का ज्ञान होना बेहद आवश्यक होता है। शोध गंगा नाम स्रोत में लगभग सवा दो लाख पीएच.डी. शोध ग्रन्थ के आंकड़े तथा शोध गंगोत्री नामक स्रोत में असंख्य पीएच.डी. प्रारूप के आंकड़े उपलब्ध हैं जिन्हें पूर्णतया उपयोग किया जाना चाहिये।

विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. अनिल छंगाणी और कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. नारायण सिंह राव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान अगले वर्ष 17 व 18 जनवरी को होने वाले रामायण विषयक सेमिनार के ब्रोशर की भी विमोचन किया गया।

लेखनशाला में कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. दिग्विजय सिंह, डूंगर कॉलेज के डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. प्रकाश आचार्य, डॉ. बृजरतन जोशी, डॉ. विक्रमजीत सहित विभिन्न महाविद्यालयों के शोधार्थियों तथा संकाय सदस्यों ने भाग लिया। इतिहास विभाग की डॉ. अम्बिका ढाका और प्रो. धर्मेश हरवानी ने सभी का आभार जताया।

 

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