(सुमित व्यास) बीकानेर। कोरोना वायरस जैसी भयावह आपदा के समय में राजनीतिक हालात पर अगर निष्पक्ष रूप से विचार किया जाये, तो हमारे बड़े बुजुर्गों की एक बहुत पुरानी कहावत अपनी आँखों देखी सत्य होती नजर आती है, वो अक्सर कहते हैं कि हमारे देश में राजनीति का स्तर बहुत ज्यादा गिर गया है, हालात ऐसे हो गये हैं कि लाशों पर भी राजनीति की जाती है, सत्य होती दिख रही है।
एक तरफ तो जनता कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में राजनेताओं के द्वारा सरकार गिराने बचाने व अपने दल की सरकार बनाने की चौसर खेल रहे है। हांलाकि मौजूदा हालात के अनुसार ये बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढऩे के कारण अब चिन्ता का विषय ज्यादा बन गया है। आम लोग संक्रमण से त्रस्त हैं, वहीं भयंकर आपदा के समय में भी राजनेता राजनीति करने में मस्त हैं। वर्तमान समय हमारे देश के सभी जांब़ाज कोरोना वारियर्स अपनी जान को जोखिम में डालकर घातक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की जान बचाने में व्यस्त हैं। वो कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास पूर्ण मेहनत के साथ दिल से कर रहे हैं, लेकिन फिर भी वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेकर रोजाना कुछ लोगों को असमय काल का ग्रास बना रहा है। देश में सब कुछ बंद होने के कारण हमारी अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गयी है, जिसके चलते आज बहुत सारे लोगों के सामने रोजीरोटी का बहुत गंभीर संकट अचानक से उत्पन्न हो गया है। हालांकि केन्द्र व राज्य सरकारें इस बेहद गंभीर स्थिति से निपटने के लिए लगातार धरातल पर तरह- -तरह के प्रयास कर रही हैं। लेकिन राजस्थान सरकार के वो सभी प्रयास स्थिति की गंभीरता के चलते अभी नाकाफी साबित हो रहे हैं। विकट आपदा के समय हर वर्ग के लोग अपना, अपने बच्चों व रिश्तेदारों के भविष्य के बारे में सोच-सोच कर बहुत ज्यादा चिंतित व परेशान हैं।
सोचने की बात तो यह है कि बेहद गंभीर हालात में कुछ दिनों तक तो देश के अधिकांश राजनीतिक दलों के राजनेता भी एकजुट होकर आम जनता के बारे में बहुत चिंतित नजर आये थे, वो आम लोगों की मदद करने से लेकर हर काम में बेहद तत्पर नजर आये थे। लेकिन कुछ समय बाद ही राजनीति के चलते फिर से ओछी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति महामारी के बेहद गंभीर संकट काल में भी शुरू हो गयी। आज तक भी लगातार जारी है। अब राजस्थान में सरकार गिराने व बनाने का षड्यंत्र, उसके चलते देश में नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति फिर से एकबार अपने चरम पर पहुंच गई है। जबकि हमारे देश को इस समय कोरोना से लोगों की जान बचाने से लेकर के विभिन्न मोर्चों पर बहुत ज्यादा गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय बेहद भयंकर कोरोना आपदा, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहे है। लेकिन हम सभी के लिए बहुत अफसोस की बात यह है कि गंभीर चुनौतियों के वक्त में भी एकजुट होने की जगह प्रदेश में सत्ता की लालुप्ता के चलते सरकार बचाने तो अन्य दलों को सरकार में काबिज होने की ही होड़ मची है। जनता राजनेताओं को कोरोना जैसी विकट आपदाओं से निपटने के लिए चुनाव द्वारा चुनती है पर यहां तो राजनेता अपनी ही कुर्सी बचाने व सरकार बनाने में व्यस्त है तो जनता की तो भगवान ही सोचेगा।
भयावह आपदा के समय में राजनीतिक हालात पर अगर निष्पक्ष रूप से विचार किया जाये, तो हमारे बड़े बुजुर्गों की एक बहुत पुरानी कहावत अपनी आँखों देखी सत्य होती नजर आती है, वो अक्सर कहते हैं कि हमारे देश में राजनीति का स्तर बहुत ज्यादा गिर गया है, हालात ऐसे हो गये हैं कि लाशों पर भी राजनीति की जाती है, सत्य होती दिख रही है।