बीकानेर। गरीब आदमी से पैसे लेते हुए दिल नहीं पसीजता। किसी की मदद करने के बजाए उसकी जेब काटते हुए हाथ नहीं कांपते। जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने मंगलवार को श्रीडूंगरगढ़ के सरकारी अस्पताल का निरीक्षण करते हुए यह बात कही। अस्पताल की सहायक कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने का वाकया सामने आने पर जिला कलक्टर ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि अस्पताल में कोई व्यक्ति शौक से नहीं मजबूरी में आता है।

यहां आए गरीब वंचित मरीज के साथ सहानुभूति रखते हुए इलाज करने के बजाए इस तरह का व्यवहार सभ्यता की निशानी नहीं हैं। दरअसल जिला कलक्टर जब मंगलवार को श्रीडूंगरगढ़ मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे, तो इसी दौरान अस्पताल के कोरिडोर में बैठे एक व्यक्ति राकेश से बाचतीत की। उस व्यक्ति ने बताया कि वह कालबेलिया जाति से है तथा गांव से अस्पताल आया है, उसकी पत्नी रेखा अस्पताल में भर्ती है।

जिला कलक्टर ने उससे पूछा कि क्या अस्पताल की सुविधाओं से वह संतुष्ट है तो राकेश ने कहा कि अस्पताल में डाक्टर ने उससे एक हजार रूपए लिए हैं। इस पर जिला कलक्टर ने डाक्टर को बुला कर पूछा तो डॉक्टर ने पैसे लेने से इनकार कर दिया और कहा कि पैसे शायद सहायक कर्मी ने लिए हों।

इसके बाद जिला कलक्टर ने सहायक कर्मचारी संतोष को बुलवा कर पैसे लेने की बात पूछी। इस पर सहायक कर्मचारी ने 900 रूपए लेने की बात स्वीकारी। पीडि़त व्यक्ति ने बताया कि कर्मचारी ने उससे दो हजार रूपए मांगे थे पर जब उसने कहा कि उसके पास तो केवल 1 हजार रूपए ही है तो उसने एक हजार रूपए ले लिए।

इसके बाद बहुत निवेदन करने पर सहायक कर्मचारी ने राकेश को सौ रूपए ही वापस किए और 900 रूपए रख लिए। इतना सुनते ही जिला कलक्टर ने कर्मचारी को फटकार लगाते हुए पैसे लौटाने के आदेश दिए। इसके बाद सहायक कर्मचारी ने पैसे लौटा दिए। गौतम ने अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक को भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होने देने की सख्त हिदायत दी।