बीकानेर, नकली नाेट छापने की सामग्री काे लेकर बड़ा खुलासा हु आ है। दरअसल इस सामग्री की सप्लाई के लिए साेशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। साेशल मीडिया पर दिए गए एक लिंक के जरिए लुधियाना के कुलदीप ने हाईसिक्याेरिटी थ्रेड और वाटर मार्क लगे कागज की खेप मंगवाई थी। नकली नाेट छापने वालाें एक कागज 200 रुपए में बेचा गया। कुल 486 कागज सप्लाई किए गए हैं। पुलिस ने मंगलवार काे 29 हजार 600 रुपए के नकली नाेट सहित एक युवक का गिरफ्तार किया था। नाेट छापने का कागज सप्लाई करने वाले काे भी लुधियाना से पकड़ लिया गया। आरबीआई की माेहर लगे कागज मिलने पर भास्कर ने पड़ताल की ताे चाैंकाने वाली जानकारी सामने आई है। अब तक की छानबीन से पता चला है कि लुधियाना निवासी कुलदीप इलेक्ट्रॉनिक सामान ठीक करने का काम करता है। साेशल मीडिया पर एक वीडियाे देखने के बाद वह इस धंधे में पड़ गया। कागज की कीमत अच्छी मिलने पर उसके मन में ज्यादा कमाने का लालच आ गया। एक साथ बड़ा ऑर्डर मिलने के बाद साेशल मीडिया पर दिए नंबरों पर संपर्क करके ऑर्डर देता था। कुछ दिनाें में उसे कुरियर मिल जाता। जिसे वह आगे सप्लाई कर देता। पूरा लेनदेन ऑन लाइन हाेता था।
कोर्ट ने सप्लायर को पांच दिन के रिमांड पर भेजा
पुलिस ने उसे लुधियाना से गिरफ्तार कर बुधवार काे काेर्ट में पेश किया, जहां से उसे पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। पुलिस यह पता लगा रही है कि आराेपी के तार किन देशाें में जुड़े हैं। काैन लाेग आरोपी के संपर्क में है। 29 हजार 600 रुपए के नकली नाेट व कागज के साथ पकड़ा गया मनाेज कुमार पहले भी कुलदीप से कागज मंगवा चुका है। दाेनाें साेशल मीडिया के जरिए एक दूसरे के संपर्क में थे। मनाेज उससे कागज मंगवाकर बीकानेर में नकली नाेट छापने वाले गिराेह काे सप्लाई करता था। मनाेज ने जिले में तीन-चार व्यक्तियों काे कागज सप्लाई किए हैं। पुलिस उनकी तलाशने में लगी हुई है। भारत में यहां छपते हैं असली नोट : भारत में 4 जगहों पर नोट छपते हैं। भारत में नोट प्रेस देवास (मध्य प्रदेश), नासिक (महाराष्ट्र), साल बोनी (पश्चिम1 बंगाल)और मैसूर(कर्नाटक) में हैं। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में सरकार द्वारा संचालित एक सुरक्षा पेपर मिल है। यहीं से भारत की सभी 4 प्रेसों के लिए नोट बनने में इस्तेमाल होने वाले विशेष मुद्रा कागज की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा विदेश से भी पेपर आते हैं।
एक शीट से छपते हैं 32 से 48 नोट : नोट छापने के लिए सबसे पहले पेपर शीट को एक विशेष मशीन सायमंटन के भीतर डाला जाता है। जिसके बाद उसे कलर के लिए एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं से गुजरना होता है। इसके बाद यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद अच्छे और खराब नोट की छंटनी की जाती है। आपको बता दें कि एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं।
विदेशों से आता है नाेट छापने का पेपर
भारत की एक सिक्योरिटी पेपर मिल (होशंगाबाद) है। ये नोट और स्टांप के लिए पेपर बनाती है। हालांकि भारतीय नोटाें के उपयाेग में आने वाला अधिकतर पेपर जर्मनी, जापान और यूके समेत अन्य देशाें से आयात किया जाता है। आरबीआई अधिकारियों के अनुसार 80 फीसदी नोट विदेशी कागज पर छपते हैं। रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत में हर साल 2,000 करोड़ के नोटों की छपाई होती है। भारतीय नोटों को तैयार करने में एक विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। इस विशेष स्याही की अधिकांश मात्रा को स्विटजरलैंड की कंपनी सिक्पा से आयात की जाती है। इस स्याही का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंक नोट प्रेस में होता है।