
बीकानेर। सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दामों में तेजी का सिलसिला जारी रखा। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की कछुआ चाल सामान है कभी 20 पैसा तो कभी 30 पैसा, पर इस चाल से दाम शिखर तक पहुंच गए है। सबसे बड़ी बात यह है कि बढ़ते तेल के दामों को देखकर सरकार और जनता दोनों ही मौन है। क्या जनता कोरोना से बचे या अपना परिवार चलाये या बढ़ते तेल के दामों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाए। हाल ये है कि पुरे भारत में तेल सबसे महंगा राजस्थान को ही मिल रहा है पर गहलोत सरकार भी मूकबधिर के समान चुप है। तेल कंपनियों में इस साल औसतन हर तीसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की है। साल की 56वीं बढ़ोतरी करते हुए तेल कंपनियों ने पेट्रोल 37 पैसे और डीजल 37 पैसे महंगा कर दिया था। बीकानेर में अब पेट्रोल के दाम 107.31 रुपए और डीजल के दाम 100.02 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं। बता दे की कल बीकानेर में पेट्रोल के दाम 106.94 रुपए और डीजल के दाम 99.64 रुपए प्रति लीटर थे।
केंद्र व राज्य के पेट्रोलियम उत्पाद के बढ़ते दामों को लेकर चल रही खींचतान से जनता पूरी तरह से त्रस्त होती नजर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में वृद्धि होने का सिलसिला देखते हुए आगे भी आम जनता को इन दोनों उत्पादों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं है। राहत इसलिए भी नहीं मिलेगी कि इन दोनों उत्पादों पर शुल्कों की दर घटाने को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है। शुल्क दर घटाने को लेकर कॉग्रेस शासित व भाजपा शासित राज्य भी केंद्र के सुझाव को मानने को तैयार नहीं है। राज्यों की मांग है कि पहले केंद्र की तरफ से उत्पाद शुल्क में कटौती की जाए तब वे भी अपनी शुल्कों की दरों को घटाएंगे। केंद्र को डर है कि अगर उसने अपने स्तर पर एक बार शुल्क घटा दिया तो राज्य फिर अपने वादे से मुकर जाएंगे।