बीकानेर. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के मुफ्त उपचार, दवा से लेकर जांच तक की नि:शुल्क व्यवस्था के सामने अस्पताल प्रबंधन लाचार दिखता है। हालात यह है कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में दर्द और बुखार से आराम के लिए दी जाने वाली सामान्य टेबलेट्स भी उपलब्ध नहीं हो रही है। मरीजों को दस प्रकार की दवाइयों को अस्पताल के इर्द-गिर्द संचालित दुकानों से खरीदनी पड़ रही है। अस्पताल में संचालित दवा वितरण केन्द्र भी चिकित्सक की पर्ची पर लिखी दवाइयों में से कई दवाओं के सामने उपलब्ध नहीं होना लिखकर मरीज को पर्ची लौटा देते है। सबसे ज्यादा परेशानी डायक्लो-पैरा, पैरासिटामोल, आयरन की गोलियां और टीटी के इंजेक्शन को लेकर हो रही है। जो सबसे ज्यादा मरीजों की परामर्श पर्ची पर लिखे होते हैं।

यहां मिल रही आधी-अधूरी दवाइयां
पीबीएम के जनाना, मानसिक रोग, ट्रोमा सेंटर, ओपीडी विंग, टीबी अस्पताल, हार्ट हॉस्पिलट, कैंसर, शिशु एवं ईएनटी अस्पताल में संचालित दवा वितरण केन्द्रों पर मरीजों को पांच में से चार व चार में से तीन दवाइयां ही मिल रही है। ट्रोमा में दवा लेने पहुंचे विशाल ने बताया कि चिकित्सक को दिखाकर पहुंचे तब सप्ताह में एक बार लेने वाला विटामिन-डी का पाऊच व दर्द निवारक डायक्लो पैरासिटामॉल टेबलेट नहीं मिली। गर्भवती महिला सावित्री को डीडीसी पर आयरन की दवा नहीं मिली।
दवाओं की आपूर्ति नहीं, भटकते हैं मरीज
पीबीएम में दवाओं का स्टाॅक है लेकिन, डीडीसी पर सप्लाई नहीं हो पा रही है। कुछे दवाइयों की वास्तव में कमी हैं। इन हालातों में मरीजों को दवा बाजार से खरीदनी पड़ रही है। पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज व पीबीएम अस्पताल प्रशासन की मीटिंग में भी यह मुद्दा उठा। परन्तु दवाइयों की उपलब्धता और समय पर जांच की समस्या जस की तस बरकरार है।
स्टाफ भी परेशानपीबीएम में शू-कवर, हैड कवर व ग्लव्ज भी कम पड़ रहे हैं। स्टाफ को भी शू-कवर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सेंसेटिव वार्डों में भर्ती मरीजों की देखभाल करने वाले चिकित्सकीय स्टाफ के भी संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है। सूत्र की मानें तो शू-कवर की कमी है लेकिन, हैंडकवर व ग्लव्ज की आपूर्ति सभी जगह नहीं की जा रही है।