बीकानेर। शराब, डोडा-पोस्त व नशीली दवा तस्करों में पुलिस का जरा भी खौफ नहीं है। पुलिस की सख्ती के दावों की तस्कर पोल खोल रहे हैं। बड़े पैमाने पर मादक पदार्थ की तस्करी को रही है। तस्कर पुलिस बचने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं वहीं रुट बदल-बदल कर मादक पदार्थ की तस्करी कर रहे हैं। अब तस्कर झारखंड से बड़ी मात्रा में अवैध डोडा-पोस्त ला रहे हैं। शुक्रवार को गजनेर पुलिस ने अवैध रूप से डोडा-पोस्त ले जा रहे ट्रक को पकड़ा। मध्यप्रदेश के नजदीक हाेने के बावजूद तस्कर सैकड़ों किलोमीटर दूर झारखंड से डाेडा-पाेस्त ला रहे हैं। झारखंड से बिहार हाेते आगरा, जयपुर, सीकर होते हुए बीकानेर, नागाैर और जाेधपुर तक पहुंचते हैं।

सरकार के प्रतिबंध के बाद से बढ़ी तस्करी

पांच साल पहले तक राजस्थान में डाेडा-पाेस्त बेचने की अनुमति थी। आबकारी विभाग की ओर से जिलाें में डाेडा-पाेस्त का ठेका दिया जाता था और ठेकेदार नियमानुसार दुकानाें पर बेचते थे। डोडा-पोस्त आसानी से मिल रहा था तब तस्करी कम थी लेकिन एक अप्रैल, 15 से सरकार ने राजस्थान में डाेडा-पाेस्त पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके बाद से तस्करी और अवैध काराेबार बढ़ गया। बड़े तस्करों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करती पुलिसझारखंड से आने वाले डाेडा-पाेस्त वाहनाें के चालक-खलासी को पुलिस गिरफ्तार तो कर लेती है, लेकिन बड़े सप्लायर तक पहुंचने की कोशिश नहीं करती। इसके लिए झारखंड जाना और वहां से डाेडा-पाेस्त की सप्लाई करने वाले मुख्य तस्कर का पता लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है। साथ में झारखंड नक्सली इलाका है। ट्रक चालक-खलासियों से पुलिस को मुख्य तस्कर का पता नहीं लग पाता। इसकी वजह है कि मुख्य तस्कर ट्रक चालक व खलासी को केवल वाट्सअप कॉलिंग के जरिए रूट के बारे में ही जानकारी देते हैं। झारखंड से मादक पदार्थ डोडा-पोस्त तस्करी करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि वहां पर डोडा-पोस्त 400 से 500 रुपए किलो में मिलता है, जिसे तस्कर दूसरी जगह पर 3000 से 3500 रुपए में बेचते हैं।

स्पेशल ऑपरेशन के अलावा पुलिस की सुस्ती

मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी करने वालों के खिलाफ पुलिस की ओर से ऑपरेशन प्रहार व ऑपरेशन वज्र शुरू किया गया। साल 2022 जनवरी से अब तक के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेशभर में इन दोनों ऑपरेशनों के तहत 13 हजार 956 तस्करों को पकड़ा है जो डोडा-पोस्त, गांजा, अफीम, नशीली टेबलेट, शराब एवं हथियार तस्करी में पकडे हैं। करीब दो करोड़ से अधिक का मादक पदार्थ व सैकड़ों गाडि़यां पकड़ी गई है। इस तरह के स्पेशल ऑपरेशनों के अलावा पुलिस तस्करों के खिलाफ ज्यादा सख्ती नहीं करती इसी का परिणाम है कि तस्कर सिस्टम पर हावी हो रहे हैं।

हर साल पकड़ी जाती है हजारों टेबलेट

बीकानेर रेंज में डेढ़ साल में 2 लाख 44 हजार 972 नशीली टेबलेट, श्रीगंगानगर में 46 हजार एवं हनुमानगढ़ जिला पुलिस ने 23 हजार नशीली दवाओं की खेप पकड़ी थी।बीकानेर जिले नाल पुलिस ने ढाई साल में 2 लाख 19 हजार 972 नशीली टेबलेट जब्त की। पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेहझारखंड से आने वाला ट्रक बिहार्, आगरा, जयपुर, सीकर होते हुए बीकानेर, नागाैर और जाेधपुर तक जाता है। झारखंड से बीकानेर व जोधपुर तक का रुट करीब 1873 किलोमीटर पड़ता है। ऐसे में तस्करी इतना लंबा रूट से मादक पदार्थ वहां पहुंचाते हैं। इस रूट में करीब साढ़े 267 पुलिस थाने पड़ते हैं। इन थानों के आगे से यह ट्रक बेरोकटोक गुजरता है। शुक्रवार को गजनेर में पकड़ा गया ट्रक झारखंड से लेकर बीकानेर के गजनेर तक आ पहुंचा। तब तक वह 100 से अधिक थानों को पार कर यहां पहुंचा। किसी भी थाना पुलिस की उस पर नजर नहीं पड़ी।