बीकानेर । प्रदेश में बंदियों को जेल से पेशी पर ले जाने और लाने के लिए बस स्टैंड व बस स्टैंड से जेल तक का टैक्सी व ऑटो का किराया मिलेगा। यह किराया चालानी गार्ड प्रभारी को दिया जाएगा। इसके लिए चालानी गार्ड प्रभारी को भुगतान की रसीद पेश करनी होगी। विदित रहे कि बंदियों को ऑटो से जेल से बस स्टैंड व बस स्टैंड से वापस जेल लाने के दौरान लगने वाले ऑटो किराए को लेकर चालानी गार्ड प्रभारी व जेल कार्मिकों में अक्सर विवाद होता था। इसी विवाद को खत्म करने के लिए अब यह व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था में स्थानीय स्तर पर किराया मालूम कर वाजिब किराया दिया जाएगा।
जिला व उप जेलों में आ रही थी समस्याप्रदेश की सेंट्रल जेलों में बंदियों को पेशी पर लाने ले जाने के लिए जेल की बख्तरबंद या पुलिस की गाड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे ज्यादा समस्या जिला व उप जेलों में आ रही है। जिला जेलों से बंदियों को लाने-ले-जाने के लिए टैक्सी या ऑटो का उपयोग करते है, जिनके किराए को लेकर जेल कार्मिकों व चालानी गार्ड प्रभारी में विवाद होता है।
अब होगा यह
चालानी गार्ड को किराया देना होगा। इसके लिए किराया भुगतान की रसीद पेश करनी होगी। स्थानीय स्तर पर दूरी के हिसाब से किराए का पता कर भुगतान किया जाएगा। गौरतलब है कि टैक्सी-ऑटो वाले को पहले भुगतान चालानी गार्ड प्रभारी की ओर से कर दिया जा रहा है। बाद में पुनर्भरण में आनाकानी हो रही थी।
चालानी गार्ड को किराया देना होगा। इसके लिए किराया भुगतान की रसीद पेश करनी होगी। स्थानीय स्तर पर दूरी के हिसाब से किराए का पता कर भुगतान किया जाएगा। गौरतलब है कि टैक्सी-ऑटो वाले को पहले भुगतान चालानी गार्ड प्रभारी की ओर से कर दिया जा रहा है। बाद में पुनर्भरण में आनाकानी हो रही थी।
यह मिल रही थी शिकायत
जेल मुख्यालय को यह शिकायत मिल रही थी कि कारागृहों से बस स्टैंड, न्यायालय भेजे जाते हैं। ऐसे मे टैक्सी व ऑटो का पर्याप्त किराया नहीं दिया जाता है, जिससे कई बार विवाद की स्थिति बन जाती है।
जेल मुख्यालय को यह शिकायत मिल रही थी कि कारागृहों से बस स्टैंड, न्यायालय भेजे जाते हैं। ऐसे मे टैक्सी व ऑटो का पर्याप्त किराया नहीं दिया जाता है, जिससे कई बार विवाद की स्थिति बन जाती है।
इनका कहना है…
बीकानेर जेल से बंदियो को लाने-ले-जाने के लिए जेल की बख्तरबंद या पुलिस की गाड़ी उपयोग में लेते है।कभी-कभार टैक्सी का उपयोग करते हैं तो 30 रुपए के हिसाब से किराया दिया जाता है।
आर. अनंतेश्वरन, जेल अधीक्षक
प्रदेश की जेलों से बंदियों को बस स्टैंड व बस स्टैंड से जेल व न्यायालय लाने ले जाने के लिए टैक्सी व ऑटो का उपयोग करने पर अक्सर विवाद होता था। इसकी प्रदेशभर की जेलों से शिकायतें मिल रही थी। इसलिए अब सभी जेलों को स्थानीय स्तर पर पता करते वास्तविक किराया देने के लिए निर्देशित किया गया है।
विक्रम सिंह करणावत, आईजी जेल जयपुर
विक्रम सिंह करणावत, आईजी जेल जयपुर