बीकानेर. जेएनवीसी थाने में दर्ज जानलेवा हमले के मामले में पुलिस तीन माह बाद भी जांच नहीं कर पाई है। जांच पत्रावली कभी इधर, तो कभी उधर घूम रही है। इस मामले की पत्रावली थाना के तत्कालीन उपनिरीक्षक से लेकर तीन अन्य अधिकारियों के हाथों से निकल चुकी है। अब चौथी बार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सुनील कुमार के पास जांच के लिए गई है।
पीडि़त की जुबानीपरिवादी सुभाष ने बताया कि चार मई की शाम को कैलाश बिश्नोई व तीन-चार युवक रेस्टोरेंट आए थे। आरोपियों को शराब पीने को मना किया। इस पर वे बाहर चले गए। वहां से जाते समय कार रेस्टोरेंट के बोर्ड से टकरा गई, जिसका उलाहना देने पर धक्का-मुक्की करने लगे। वहां भीड़ लगने लगी, तो एकबारगी वहां से चले गए और थाने पहुंच गए। इसके बाद थाने से मेरे पास फाेन आया, तो वहां पहुंचा। तब वहां आरोपी खुद नहीं थे, लेकिन उनके साथी मौजूद थे। थाने में पुलिस के सामने ही आरोपियों ने मामला दर्ज कराने पर देख लेने की धमकी दी। परिवादी ने बताया कि उनके धमकाने के बाद शाम सात बजे थाने में शिकायत की। इसके बाद रात करीब साढ़े आठ-नौ बजे के आसपास आरोपियों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। आरोपियों ने थाने में पुलिस के सामने धमकाया था। अगर पुलिस इसे गंभीरता से लेती, तो वारदात नहीं होती।
यह है मामला
जेएनवीसी थाने में पांच मई, 22 को सुभाष लेघा की ओर से मारपीट व तोड़फोड़ का मामला दर्ज कराया गया था। परिवादी की रिपोर्ट पर कैलाश बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई, जेपी चौधरी, रोहित कस्वां, अनिल खिचड़, गौरव कामरा, अभिषेक, अमन, चार-पांच अन्य के खिलाफ मारपीट, तोड़फोड़ व जानलेवा हमले के आरोप में मामला दर्ज किया गया। इसमें घटना चार मई, 22 की शाम की बताई गई। जानलेवा हमले में परिवादी सुभाष के दोनाें हाथों में फ्रेक्चर, परिवादी के दोस्त ऋषिराजसिंह के सिर व हाथ में चोटें आईं। वहीं जैनूल खान के गंभीर चोटें आई, जो जयपुर के दुलर्भजी अस्पताल में भर्ती हुआ।
रसूखदार को बचाने का नतीजा कि टल रही है जांचइधर, इस पूरे मामले में पुलिस सूत्रों के हवाले से ही यह बात सामने आ रही है कि आरोपियों में एक राजनैतिक रसूखदार के करीबी तीन से चार लोग शामिल हैं, जिनके नाम पत्रावलियों से तकनीकी तौर पर बाहर करवाने के लिए ही जांच-जांच का खेल खेला जा रहा है।पुलिस का कहना जयपुर रोड पर स्थित एक रेस्टोरेंट संचालक व उसके दोस्तों के साथ मारपीट हुई थी, जिसमें एससी-एसटी की धारा भी लगी। मामले की जांच तीसरी बार एएसपी किरण गोदारा से कराई गई थी, जिन्होंने मामले में 16 लोगों को आरोपी माना था। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जेएनवीसी थाने को आरोपियों की गिरफ्तारी करने के लिए फाइल भेज दी गई थी। अब वापस जांच बदली गई है, यह जानकारी में नहीं है।