बीकानेर : बदहाल सीवरेज और ड्रेनेज को मिलेगा ‘अमृत’, पीबीएम में आएंगे 10 ई-रिक्शा, देखे खबर

बीकानेर. शहर के बदहाल सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम के दंश से मुक्तिअमृत योजना से मिलेगी। योजना में मिलने वाले 900 करोड़ रुपए से शहर में सीवरेज व ड्रेनेज सुधारा जाएगा। वहीं पीबीएम अस्पताल में अलग-अलग विंग में जांचों और परामर्श के लिए मरीजों को लाने-ले जाने के लिए दस बैटरी चलित ई-रिक्शा लगाए जाएंगे। यह जानकारी शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में दी। डॉ. कल्ला ने कहा कि एमएलए कोटे से दस बैटरी रिक्शा दे रहे हैं। जो मरीजों को पीबीएम अस्पताल में इधर-उधर जाने के लिए नि:शुल्क उपलब्ध रहेंगे। सेटेलाइट अस्पताल को सीएसआर फंड से डेढ़ करोड़ रुपए बिल्डिंग निर्माण के लिए भी दिलाए हैं। शहर के दरवाजों के सौंदर्यकरण का कार्य आगे भी जारी रखा जाएगा। अभी 6-7 दरवाजों का सौंदर्यकरण कराया जाना है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर जल्द शुरू होगा कार्य

डॉ. कल्ला ने कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से तैयार किए जा रहे स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट में बीकानेर भी शामिल है। इसमें 150 से 200 करोड़ रुपए का बजट मिलेगा। जिससे शहर का सौंदर्यकरण और पर्यटक स्थल विकसित किए जाएंगे।

लोहे के विद्युत पोल बदलने की जरूरत

बारिश शुरू होते ही बिजली गुल हो जाती है, क्योंकि बीकानेर में लोहे के विद्युत पोल सबसे ज्यादा लगे हैं…के संबंध में पूछे गए सवाल पर डॉ. कल्ला ने कहा कि शहर में अंडरग्राउंड बिजली लाइन बिछाने की जरूरत है। पोल लैस सिटी समय की जरूरत भी है। इस पर बड़ा खर्च आता है। फिर भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कुछ जगहों को पोल लैस करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिजली कम्पनी को शहर की विद्युत आपूर्ति सौंपते समय कम्पनी ने 110 करोड़ रुपए रख-रखाव पर खर्च करने का वादा किया था। कम्पनी को शहर में लगे लोहे के पोल हटाकर दूसरे पोल लगाने चाहिए।

केन्द्र चाहे तो मिले सेंट्रल यूनिवर्सिटीडॉ. कल्ला ने कहा कि बीकानेर में केन्द्रीय विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग भी काफी समय से हो रही है। उन्होंने इसे अलग-अलग मंचों पर उठाया भी है। केन्द्र सरकार चाहे तो बीकानेर को सेंट्रल यूनिवर्सिटी मिल सकती है।

तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर सबकी सहमति से निर्णय

तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं करने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक से दूसरे जिले में तृतीय श्रेणी शिक्षकों का तबादला करना आसान नहीं है। उन्होंने तबादला नीति का जो प्रारूप बनाया था, उस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों की तबादला नीतियों का अध्ययन करना चाहिए। अब अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर इसे पुन: तैयार करेंगे। जिले के भीतर जरूर तबादले हो सकते हैं। इसके लिए केबिनेट की सहमति होगी तभी आगे कदम बढ़ाया जाएगा। प्रधानाचार्य, प्रथम व द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के लिए काम चल रहा है।

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