बीकानेर : साइबर ठगों के खातों में सेंध लगा रही पुलिस, 41 लाख रु. पीड़ितों को वापस दिलाए, पढ़े खबर

बीकानेर, प्रदेश में साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने बिना एफआईआर दर्ज किए लोगों की रकम ठगों से वापस छीनने की तकनीक अपना ली है। बीकानेर की साइबर रिस्पॉन्स सेल केवल चार महीने में 415 मामलों में 41 लाख से ज्यादा रुपए रिफंड कराकर प्रदेश में पहले नंबर पर है। साइबर फ्रॉड के मामलों में पुलिस ने एफआईआर लिखनी बंद कर दी है। क्योंकि पुलिस का सिस्टम फिलहाल इतना मजबूत नहीं हुआ है कि अपराधियों को पकड़ सके। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार आईटी एक्ट के तहत वर्ष 2019 में 2731 एफआईआर दर्ज हुई थी, जबकि वर्ष 2020 में 2021 में 605 केस ही दर्ज हुए। बीकानेर में करीब 400 केस तीन साल से पेंडिंग हैं। इस स्थिति को देखते हुए बीकानेर पुलिस ने मार्च में नवाचार करते हुए साइबर क्राइम रिस्पॉन्स सेल बनाई। एफआईआर दर्ज किए बिना ही परिवादियों से लूटी हुई रकम वापस दिलाकर प्रदेश में रोल मॉडल बन गया है। प्रदेश में साइबर ठगी के शिकार लोगों के डेढ़ करोड़ रुपए वापस दिलाए जा चुके हैं।

बैंक कर्मचारी से भी मोबाइल नंबर या खाते की अन्य जानकारी शेयर न करें
1. इनएक्टिव क्रेडिट कार्ड से निकाले 49 हजार, एक साल से ट्रेस नहीं हो सका ठग

तरुण पुरोहित ने जनवरी 2021 में क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने के लिए इंडसंड बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल किया। वहां से एक लिंक भेज दिया। तरुण ने उस पर अपनी डिटेल शेयर की। कुछ देर बाद ही उनके क्रेडिट कार्ड से 49 हजार रुपए निकल गए। जेएनवीसी थाने और बैंक में परिवाद दिया, लेकिन पैसा आज तक वापस नहीं मिला। तरुण का कार्ड एक्टिवेट ही नहीं था। ठग ने उसे एक्टिवेट भी करा लिया।

2.रविवार बैंक की छुट्‌टी के कारण पैसा होल्ड नहीं हो सका, 98 हजार की ठगी
गणेश आचार्य के पास 20 जुलाई को कमल किशोर नामक शख्स का कॉल आया। उसने गणेश के किसी रिश्तेदार का हवाला देते हुए कहा कि उनको पेमेंट करना है। गणेश ने अपने नंबर दे दिए। इसके बाद उनके खाते से 49-49 हजार रुपए निकल गए। गणेश ने साइबर सेल में ऑन लाइन परिवाद दिया। पैसा कर्नाटक के अकाउंट में गया था, लेकिन रविवार होने के कारण पुलिस रकम होल्ड नहीं करा सकी।

साइबर ठगों से बचने के लिए ये सावधानियां जरूरी

  • बैंक डिटेल किसी अनजान व्यक्ति से साझा ना करें, चाहे वो बैंक कर्मचारी होने का दावा ही क्यों न करे।
  • केबीसी, बिजली कनेक्शन काटने या तुरंत लोन दिलाने के नाम पर होने वाले फ्रॉड की जानकारी रखें और अन्य लोगों से भी साझा करें।
  • किसी के कहने पर कोई एप इंस्टॉल ना करें। यहां तक कि गूगल प्ले स्टोर से भी एप डाउनलोड करते समय ध्यान रखें कि कोई एप फोन में कौन-कौन सी परमिशन लेता है। कैमरा एक्सेस की परमिशन से पहले अच्छी तरह चेक करें।
  • ऑनलाइन खरीदारी के लिए एक अलग बैंक अकाउंट रखें जिसमें उतने ही रुपए रखें जितने जरूरी हों।
  • व्हाट्सएप के प्राइवेसी ऑप्शन में हू कैन एड मी टू ग्रुप विकल्प में माई कॉन्टैक्ट को चुनें ताकि कोई अजनबी आप को किसी ग्रुप में एड ना कर सके।

बजट घोषणा के बाद भी शुरू नहीं हो सके साइबर थाने

राज्य सरकार ने हर जिले में साइबर थाना खोलने की घोषणा बजट में की थी। कुल 32 जिलों में साइबर थाने खोलने के आदेश सहित प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी अप्रैल में जारी कर दी गई, लेकिन अब तक एक भी थाना नहीं खुला। सभी जिलों में जगह की समस्या आ रही है। 480 पद स्वीकृति हो चुके हैं। गाड़ियां, फर्नीचर, कंप्यूटर आदि के लिए 247.875 लाख का बजट मंजूर हो चुका है। पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है कि भवन नहीं मिलने पर भूमि आवंटित कराएं।

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