ये वल्चर है जो जोड़बीड़ के उस क्षेत्र में देखे जा सकते हैं जहां मृत मवेशियों को फेंका जाता है।

बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान में कई जगह विदेशी पक्षियों की चहचहाहट शुरू हो गई है। बीकानेर में इस बार समय से पहले और बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी पहुंचे हैं। इन विदेशी सैलानियों पर बीकानेर में कई पर्यावरणविद् नजर रखे हैं। महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंटल साइंस डिपार्टमेंट ने भी इन विदेशी मेहमानों पर अध्ययन के लिए इनके मूवमेंट्स पर नजर बनाए हुए है।

बीकानेर में चलते प्रवासी पक्षी हर साल अपने शीतकालीन प्रवास पर सुदूर साइबेरिया, कजाकिस्तान, तिब्बत, रूस, मंगोलिया, यूरोप आदि देशों से पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में आते हैं।

ये स्टेपी ईगल हैं जो इन दिनों जोरबीड क्षेत्र में देखे जा सकते हैं
       ये स्टेपी ईगल हैं जो इन दिनों जोरबीड क्षेत्र में देखे जा सकते हैं

ये पक्षी आए इस बार
इस बार प्रवासी पक्षी रोजी पेस्टर (स्टर्लिंग) सबसे पहले आए। यह अगस्त-सितम्बर में ही बीकानेर पहुंच गए थे। इसके बाद आने वाले प्रवासी पक्षियों मे यूरोपियन रोलर, लेसर केस्ट्रल, बुशलार्क, इम्पीरियल ईगल, मोन्टेगु हेरियर, कूर्जा, येलो आइड पीजन, लेगर फॉल्कन, स्टेपी ईगल, यूरोपियन ग्रिफान, हिमालयन ग्रिफान, व सिनेरियस वल्चर हैं।

बीकानेर में दरबारी के पास इन दिनों कुरजां का जमावड़ा आम दिनों से अधिक देखने को मिल रहा है।
बीकानेर में दरबारी के पास इन दिनों कुरजां का जमावड़ा आम दिनों से अधिक देखने को मिल रहा है।

इसके अलावा, अन्य पक्षियों मे विशेषकर ग्रे हार्नबिल, ट्रीपाई, इंडियन कोर्सर, ब्लूचिक बीइटर, लार्क की कई प्रजातियां, हुबारा बस्टर्ड, ब्लेकनेक्ड स्पेरोलार्क, ब्लेक इयर्ड काइट, इस्टर्न इम्पीरियल इगल, चेस्टनट सेंड ग्राउज भी पहुंचे हैं।

बीकानेर में इन दिनों रोजी पेस्टर नामक इन पक्षियों की चहचहाहट सुनी जा सकती है। सभी फोटाे : प्रोफेसर अनिल छंगाणी
बीकानेर में इन दिनों रोजी पेस्टर नामक इन पक्षियों की चहचहाहट सुनी जा सकती है।

यहां-यहां देखे जा सकते हैं विदेशी मेहमान
संभाग में जलीय पक्षियों को गजनेर, कोलायत, बीछवाल, जोरबीड़, कोडमदेसर, दियातरा, मोदिया, गिराजसर, आर.डी.750, आर.डी.507, धेगडा हैड, लाडखाना, जयमलसर, सूरतगढ़, रावतसर व बडोपाल के आसपास घघ्घर की झीलों में आसानी से देखा जा सकता है।