बीकानेर. गायों में लंपी रोग का असर दुग्ध उत्पादों पर साफ दिखने लगा है। खासतौर पर मावे पर, जिसके दाम श्राद्ध पक्ष की खपत और आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए आसमान छूते दिखाई दे रहे हैं। इस समय बाजार में मावा के जो भाव चल रहे हैं, वे आज तक के सबसे अधिक हैं। इससे पहले मावे के भावों में कभी इतना उछाल नहीं देखी गई। माना जा रहा है कि अगर अब भी लंपी संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सका, तो दीपावली तक मावे के भावों में और इजाफा हो सकता है। मावा तथा मिठाई व्यापारी भी मावे के मौजूदा भावों से हैरान हैं। हालांकि, गोवंश में लंपी रोग के फैलाव के साथ ही उन्हें इसकी आशंका पहले से ही थी। अब नया संकट दुग्ध उत्पादों के घटने पर नकली दूध या मिलावटी मावा की शक्ल में आसन्न दिखाई देता है, जिससे निपट पाना प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती होगी।

प्रतिदिन दो हजार टिन मावा का उत्पादन

जिले में इस समय ग्रामीण इलाकों में प्रतिदिन दो हजार टिन मावा का उत्पादन हो रहा है। खपत भी बढ़ी हुई है। इसकी वजह यह है कि इस समय श्राद्ध पक्ष के चलते शहर में स्थाई तथा अस्थाई दुकानों की संख्या करीब दो सौ के आसपास है। दूध उत्पादन में कमी का असर यहां भी दिख रहा है। अगर उत्पादन कम नहीं होता, तो तीन सौ टिन अतिरिक्त की खपत हो चुकी होती।

एक हजार टिन जाता है बाहर

बीकानेर से इस समय एक हजार टिन की आपूर्ति दिल्ली, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, जोधपुर, कोटा जैसे शहरों में की जा रही है। इस समय दीपावली की ग्राहकी भी शुरू हो जाती है, लिहाजा यह आंकड़ा 1500-2000 टिन के आसपास रहता, लेकिन दूध उत्पादन में कमी ने यहां भी असर डाला है।

चालीस फीसदी गिरा दूध उत्पादन

गायों में लंपी बीमारी होने के कारण गोवंश की अकाल मौत हो गई है। साथ ही जो पीडि़त हैं, उनसे दूध की मात्रा भी कम होने लगी है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 40 फीसदी दूध का उत्पादन इन दिनों गिर चुका है। इसका सीधा असर दूध और उससे बने उत्पादों पर नजर आ रहा है। शहर में कहीं 45 तो कहीं पर 50 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव दूध बिक रहा है।