बीकानेर. निगम में महिला महापौर, शहर में महिला विधायक, निगम में दो दर्जन से ज्यादा महिला पार्षदों वाले इस शहर के मुख्य बाजार में आधी आबादी यानी ÒमहिलाएंÓ शर्मिंदगी का शिकार होती हैं। वजह बाजार में एक भी सार्वजनिक महिला शौचालय का उपलब्ध न होना। त्योहार के सीजन में तो गांव-देहात से आने वाली सैकड़ों महिलाओं को शौचालय के अभाव में अजीबो-गरीब स्थिति झेलनी पड़ती है। कोई बाजार के बीचों-बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन के आसपास ओट तलाशती हैं, तो कोई निजी शौचालय का उपयोग करने के लिए मिन्नतें करती दिखती हैं। किसी भी चुनाव से पहले महिलाओं को 50 फीसदी टिकट देने की मांग उठाने वाली नेत्रियां यहां इस मामले पर चुप्पी साधे हैं। उन्हें भी पीड़ा का मर्म शायद तब समझ में आए, जब इस अवस्था से कभी गुजरना पड़े। मध्यम और गरीब तबके की महिलाओं को बाजार में लघुशंका के लिए परेशानी तो झेलनी ही पड़ती है। बीकानेर के ऐसे हालात स्वच्छ भारत अभियान की गंभीरता पर भी सवाल खड़े करते हैं। साथ ही जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि, व्यापारी और नगर निगम प्रशासन सभी को कठघरे में खड़ा करते हैं।

कागजों में दब गए महिला शौचालयसाल 2019 में महापौर के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद महापौर सुशीला राजपुरोहित ने शहर के व्यस्ततम बाजारों में महिलाओं के लिए अलग से महिला शौचालय बनाने की घोषणा की। शहर की सरकार के कार्यकाल को पौने तीन साल हो चुके हैं। शुरुआत में महिला शौचालयों को लेकर निर्देश भी जारी हुए। तीन स्थानों पर महिला शौचालय बनाने को लेकर हलचल हुई, लेकिन आज तक एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ।

सबसे ज्यादा जरूरत यहां

मुख्य बाजार में सबसे ज्यादा महिलाओं की भीड़ तोलियासर भैरूंजी गली में रहती है। केईएम रोड और लाभूजी कटला में रोजाना पांच-सात हजार महिलाएं खरीददारी करने पहुंचती हैं। रेलवे स्टेशन मार्ग, कोटगेट के भीतर की साड़ी मार्केट और दाउजी रोड से लेकर पुरानी जेल रोड पर भी महिलाओं के उपयोग में आने वाली वस्तुओं की खूब दुकानें हैं। बी सेठिया गली, फड़ बाजार, मॉर्डन मार्केट जैसे कई ऐसे स्थान हैं, जहां महिलाओं का आना-जाना रहता है। इस पूरे क्षेत्र में एक-एक सार्वजनिक महिला शौचालय होना जरूरी है।

करोड़ों का कारोबार, मूलभूत सुविधाओं की चिंता नहीं

अभी नवरात्र के साथ ही त्योहारी सीजन शुरू हो जाएगा। बीकानेर संभाग की सबसे बड़ी साड़ी मार्केट तोलियासर भैरूजी गली में तो महिला ग्राहकी की हालात ऐसी रहती है कि संकरी गली में पैर रखने की जगह नहीं होती। लाभूजी कटला में 90 फीसदी ग्राहकी महिलाओं की रहती है। त्योहार पर रोजाना करोड़ों रुपए का कारोबार महिलाओं के बलबूते दुकानदार करते हैं, परन्तु महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा की चिंता कोई नहीं करता।

महापौर, विधायक, पार्षद और अधिकारी…आवाज क्यों दबी पड़ीशहर की सरकार में 28 निर्वाचित और दो मनोनीत समेत 30 महिला पार्षद हैं। उपायुक्त के पद पर महिला अधिकारी कार्यरत हैं। नेताप्रतिपक्ष का पद भी महिला के जिम्मेे है। सबसे अहम महापौर भी महिला हैं। जिला प्रशासन में भी जिला परिषद सीईओ महिला हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक महिला हैं। कई महिला अभियंता निगम में कार्यरत हैं। बीकानेर पूर्व क्षेत्र की विधायक सिदि्ध कुमारी जैसी शख्सीयत के बावजूद महिलाओं के हक की आवाज दबी पड़ी है।