बीकानेर, प्रदेश में पिछले पांच साल में साढ़े तीन करोड़ के नकली नोट पकड़े गए हैं। जबकि बीकानेर नकली नोटकांड में एक ही दिन में पौने तीन करोड़ से ज्यादा की खेप पकड़ी गई। इस गिरोह ने 18 करोड़ तो बाजार में चला भी दिए। अब तक तो जाली नोटों की तस्करी होती थी, लेकिन बीकानेर में नकली नोट छापने का खुलासा होने के बाद तमाम सुरक्षा एजेंसियां सकते में हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल के तस्कर बांग्लादेश से खेप लेकर 40 से 50 हजार के बदले 1 लाख तक के नकली नोटों की सप्लाई करते थे। बीकानेर के जालसाजों ने इस काले काम का अपना नया नेटवर्क खड़ा किया। बंगाल से बिहार में एंट्री करके यूपी के रास्ते मेवात तक नकली नोट पहुंचाने का रूट आम है। मेवात से ही जयपुर और प्रदेश के अन्य शहरों तक जाली नोट पहुंचाए जाते रहे हैं। राहत की बात यह है कि अब तक पकड़े गए 90 फीसदी से ज्यादा जाली नोटों में मुख्य सेफ्टी फीचर्स को कॉपी नहीं किया जा सका है। बीकानेर में पकड़े गए जाली नोटों में तो सेफ्टी थ्रेड ही नहीं है।

5 साल, 363 जालसाज…3.50 करोड़ के जाली नोट
राज्य में 5 साल में पुलिस व एसओजी ने 363 जालसाजों से 3.50 करोड़ के जाली नोट पकड़े। सबसे ज्यादा चलन राजधानी जयपुर, अलवर व भरतपुर में रहा। नोटबंदी के बाद से 31 दिसम्बर 2021 तक 309 प्रकरण दर्ज हुए।

नकली नोटों में 102 फीसदी बढ़ोतरी : आरबीआइ
इधर, आरबीआइ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में नकली नोटों की संख्या में 101.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसमें 2000 रुपये के नोटों में 54 प्रतिशत और 500 के नोटों में दोगुने की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक 3 साल में 4 लाख नकली नोट मिले। सबसे ज्यादा नोट 500 रुपए के हैं।

कम हुए 100-50 के नकली नोट
आरबीआइ के अनुसार, पचास रुपए के नकली नोटों मे 28.7 और सौ रुपए के नकली नोटों मे 16.7 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई। प्रदेश में 2021 में 6732 नकली नोट पकड़े गए थे। वित्त वर्ष 2021-22 मे 10 के नकली नोटों मे 16.4, 20 में 16.5, 200 में 11.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वहीं 200 रुपए के नकली नोट 11.7 फीसदी बढ़ गए।

जालसाजों की अब 2000 के नोट पर नजर
अब तक सबसे ज्यादा पांच सौ के नकली नोट पकड़े जाते थे, लेकिन बीकानेर नोटकांड में सबसे ज्यादा दो हजार के नकली नोट सामने आए। यहां 2000 के 12700 नोट (2 करोड़ 54 लाख) और 500 के 2900 नोट (14 लाख 50 हजार) पकड़े गए।

2000 के असली-नकली नोट में यों समझें अंतर
– असली नोट चमकदार है जबकि नकली की छपाई व प्रिंटिंग आउट है।
– नकली के कागज की मोटाई असली की तुलना में ज्यादा है।
– दृष्टिबाधित लोगों के लिए अशोक स्तंभ के ऊपर ही 2000 उभरा है। नोट के दाएं और बाएं तरफ उभरी हुई 7 लाइनें छूने से महसूस होती है। नकली में ब्रेल मार्क महसूस नहीं होता।
– भूरे रंग के बॉक्स को तिरछा देखने पर उसमें 2000 की आकृति नजर आती है। जबकि जाली नोट में यह नहीं दिखती।
– असली में हरे रंग में लिखे 2000 के चिन्ह में चमकदार लहरें-सी नजर आती हैं। जिन्हें गिना भी जा सकता है। नोट को तिरछा कर देखने से इसका रंग नीले में बदलता नजर आएगा।
– असली के सिक्योरिटी थ्रेड में भारत, आरबीआइ और 2000 लिखा है। जब नोट को मोड़ेंगे तो थ्रेड में रंग हरे से नीले में बदलता दिखेगा। नकली में एेसा नहीं होता।

गिरोह को जड़ से नष्ट करना जरूरी : आइजी
नकली नोट गिरोह के इस ऑपरेशन को गोपनीय रख कार्रवाई की गई। गोपनीयता बरकरार नहीं रहती तो ऑपरेशन सफल नहीं होता। आगे भी ऐसी कार्रवाई की जाती रहेगी। पुलिस के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। इस गिरोह को पूरी तरह जड़ से खत्म करने के लिए ही जांच एसओजी से करवाने की सिफारिश की गई है।