बीकानेर, संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल से संबद्ध सुपर स्पेशियलियटी यूनिट (एसएसबी) में समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एसी सिस्टम खराब होने की समस्या का हल अब तक हो नहीं पाया और अब नई परेशानी लिफ्टों की खराबी को लेकर सामने आ रही है। यूं तो इस पांच मंजिला ब्लॉक में पांच लिफ्ट मरीजों और स्टाफ की आवाजाही के लिए लगी हुई है, लेकिन इस समय इनमें से तीन लिफ्ट पूरी तरह से खराब होकर बंद पड़ी हुई हैं, जबकि दो लिफ्टें काम जरूर कर रही हैं, लेकिन उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है। आलम यह है कि इस पांच मंजिला इमारत में जब यह दो लिफ्टें भी दिक्कत करने लगती हैं, तो मरीजों और परिजनों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासतौर से मरीजों के तीमारदारों को, क्योंकि उन्हें कई बार दवाइयों, जांच रिपोर्ट और डॉक्टर से सलाह लेने के साथ ही कई तरह के कामों के लिए ऊपर-नीचे होना पड़ता है।

पत्र भेजे जाते हैं, पर जैसे कोई देखता ही नहीं

अस्पताल प्रशासन से पता करने पर मालूम चला कि खराब पड़ी तीनों लिफ्टों को ठीक करने के लिए कई बार पत्र व्यवहार भी हो चुका है, लेकिन आज तक लिफ्ट को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जानकारी के अनुसार 23 फरवरी, 23 अप्रेल, सात जून, 14 जून और 24 अगस्त 2022 को मेडिकल कॉलेज प्राचार्य एवं अधीक्षक को इस बारे में पत्र दिए जा चुके हैं, लेकिन हालात देख कर ऐसा लगता है, जैसे इन पत्रों को देखने से पहले ही रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया जाता है।

सूचना चस्पा कर जिम्मेदारी से पाई मुक्ति

अस्पताल प्रशासन ने इतना जरूर कर रखा है कि खराब लिफ्टों पर सूचना जरूर चस्पा कर दी है। हालांकि, दीगर है कि जब मरीज या उसका परिजन लिफ्ट के सामने पहुंचता है और उसे यह सूचना चिढ़ाती हुई सी महसूस होती है। गौरतलब है कि सिर्फ मरीज या उसके परिजनों को ही नहीं, स्टाफ को भी लिफ्ट खराबी से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। मरीजों या सामान को ले जाने के लिए रैंप के सहारे से उन्हें कहीं ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है।

छह ऑपरेशन थियेटर बने हैं

पांच मंजिला एसएसबी भवन में भूमितल पर ओपीडी और लैब आदि हैं। जबकि ऊपरी मंजिलों में वार्डों के अलावा छह ऑपरेशन थियेटर हैं। इसमें से चार थियेटर में नियमित रूप से ऑपरेशन वगैरह होते हैं। ऑपरेशन योग्य मरीजों को तथा कई तरह का सामान आदि ले जाने के लिए लिफ्ट का उपयोग किया जाता है। हालांकि, इन दिनों लिफ्ट खराबी की वजह से रैंप का सहारा लिया जा रहा है।