बीकानेर। अखिल भारतीय शुष्क क्षेत्र फल समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत आज स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय स्थित खजूर अनुसंधान केंद्र पर अनुसूचित जाति के कृषकों के लिए खजूर उत्पादन की तकनीक पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण उपरांत उन्हे निशुल्क खजूर के पौधे वितरित किए गए। प्रशिक्षण प्रभारी व सह आचार्य डॉ राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया की  प्रशिक्षण में जिले के भेरुखीरा गाँव के  अनुसूचित जाति के कृषकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रकाश सिंह शेखावत, अनुसंधान निदेशक ने कहा की खजूर की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है व इस खेत्र में खजूर से किसान भाई अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। उन्होने कृषको से आहवान किया की खजूर के पौधे लगाने के पश्चात इनकी  उचित देखभाल करे।  डॉ एस आर यादव, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक ने खजूर के पौधों की देखभाल व इसमें खाद उर्वरकों के प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान दी व बताया की शुष्क क्षेत्र में आजीविका का अच्छा साधन हैं व इसके मूल्य संवर्धन में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।  डॉ राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया की प्रदेश मे लगभग 1200 हेक्टेयर में खजूर की खेती की जा रही है। इस क्षेत्र के लिये हलावी, बरही, खूनिज़ी, ज़ाहिदी, मेडजुल आदि किस्मे उत्तम गुणवत्ता के फल प्रदान करती हैं। इसकी खेती रेतीली मिट्टी व क्षारीय पानी मे भी कर सकते है।  इस अवसर पर डॉ रमेश बैरवा, डॉ बी डी एस नाथावत, डॉ प्रियंका, भागचंद, देवल शेखावत आदि उपस्थित थे।