बीकानेर। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में सख्त फैसला सुनाते हुए जोधपुर डिस्कॉम के खाजूवाला के सहायक अभियंता (एईएन) विजय सिंह और उनके ड्राइवर हनीफ खान को पांच साल के कारावास और एक-एक लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। न्यायालय के पीठासीन अधिकारी विनोद कुमार सोनी ने यह फैसला सुनाया। यह मामला 2017 का है, जब दोनों को 50,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।

मामले की पृष्ठभूमि

पूगल के चक 6 बीएम निवासी राजीव कुमार जाट ने 31 मार्च 2017 को एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, उनके मौसा सुरेंद्र कुमार के खेत में कृषि और घरेलू कनेक्शन सही तरीके से लिए गए थे। इसके बावजूद एईएन विजय सिंह ने अवैध रूप से कनेक्शन चालू रखने के लिए रिश्वत मांगी। जब रिश्वत नहीं दी गई, तो डिस्कॉम की विजिलेंस टीम ने जनवरी 2015 में गलत तरीके से कृषि कनेक्शन पर वीसीआर भर दी और बिजली चोरी का मामला बनाते हुए 1.70 लाख रुपए का बिल भेज दिया।

जब शिकायतकर्ता ने एईएन से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट के निर्णय के बाद ही सुलझेगा। इस बीच, फसल बचाने के लिए कुंडी लगाकर मोटर चालू रखने और सिंगल फेस कनेक्शन चालू करने के लिए 25,000 रुपए की मांग की गई।

एसीबी का जाल और गिरफ्तारी

शिकायत का सत्यापन करवाने के बाद, एसीबी ने 13 अप्रैल 2017 को जाल बिछाया। इस दौरान एईएन विजय सिंह और उनके ड्राइवर हनीफ खान को 50,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

कोर्ट का फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 21 गवाहों को पेश किया। सहायक निदेशक अभियोजन शरद ओझा ने राज्य की ओर से पैरवी की। अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए पांच साल का कारावास और एक-एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो अतिरिक्त एक साल का कारावास भुगतना होगा।