बीकानेर. जिले के करीब तीन सौ काश्तकारों को अपनी कृषि भूमि से जिप्सम खनन के परमिट जारी किए जाएंगे। खनन विभाग की ओर से भूमि सुधार के उद्देश्य से पट्टे देने के लिए अगस्त में आवेदन मांगे गए थे। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब विभाग काश्तकार की भूमि में खनिज का सत्यापन करेगा। इसके लिए जियोलॉजिकल सर्वे के आदेश किए जा चुके हैं। खनिज अभियंता राजेन्द्र बलारा ने बताया कि जिप्सम युक्त भूमि के काश्तकारों को भूमि सुधार के लिए खनिज का खनन करने की अनुमति देने के लिए आवेदन मांगे गए थे। जिले के 300 से अधिक काश्तकारों ने आवेदन किए हैं। आवेदनों की प्रारंभिक जांच के बाद अब जियोलॉजिकल सर्वे की कार्रवाई शुरू की गई है। जियोलॉजिकल अधिकारी मौके पर जाकर भूमि की जेसीबी से खुदाई कर खनिज की मार्किंग करेंगे। इसके बाद संबंधित काश्तकार को पट्टा जारी कर खनन की अनुमति दे दी जाएगी। वह दो साल के भीतर भूमि सुधार के तहत खनन कर सकेगा।किसानों को खनन का अधिकार जिप्सम खनिज सामान्यतः सतही होने के कारण सतह से तीन मीटर गइराई तक निकालने को गैर खनन गतिविधि माना गया है। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति लेने की भी आवश्यकता नहीं है। वर्ष 2017 में प्रदेश में जिप्सम के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए खान विभाग ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया था। इससे पहले जिप्सम के खनन का अधिकार केवल खान विभाग के पास था। खातेदारी भूमि में जिप्सम के भंडार होने के चलते बड़े पैमाने पर अवैध खनन होने लग गया। राज्य सरकार को रॉयल्टी का भी नुकसान उठाना पड़ रहा था। ऐसे में पहली बार बीकानेर जिले में नई पॉलिसी के तहत 900 से अधिक आवेदनों में से केवल 74 किसानों को अपनी भूमि पर खनन के परमिट जारी हो सके।सरलीकरण के बाद मांगे आवेदन बाद में प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आने के बाद किसानों को परमिट देने की प्रक्रिया में सरलीकरण किया गया। इसके बाद सरकार ने अगस्त में किसानों से भूमि सुधार के लिए परमिट देने के लिए आवेदन मांगे। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तीन सौ से अधिक किसानों के आवेदनों की जांच की गई है।