जोधपुर। जीते जी तीन दिन में राज्य सरकार गिराने का दावा करने वाली एएनएम भंवरी देवी भले ही सरकार नहीं गिरा पाई, लेकिन मौत के बाद प्रदेश की राजनीति में ऊंची लहरें उठा दी। भंवरी के भंवर में दो रसूखदार नेता जेल पहुंच गए। भंवरी को मरे हुए आज 10 साल पूरे हो गए। सीबीआई की कस्टडी में रखी भंवरी की अस्थियों को आज भी विधिवत दाह संस्कार के साथ विसर्जन का इंतजार है।
आज से ठीक दस वर्ष पहले 1 सितम्बर 2011 को भंवरी के पति अमरचंद ने भंवरी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। भंवरी का कई दिन तक पता ही नहीं चल पाया। बाद में केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने अपनी जांच में कहा कि भंवरी को मार कर जला दिया गया है। उसकी अस्थियों को राजीव गांधी लिफ्ट नहर में बहा दिया गया। सीबीआई ने नहर से इन अस्थियों को एकत्र किया। इन अस्थियों के डीएनए का मिलान भंवरी के बच्चों से कराने के बाद ही पुष्टि हो पाई थी कि भंवरी अब इस दुनिया में नहीं है।
भंवरी की अस्थियां आज भी सीबीआई ने संरक्षित कर रखी हुई है। इस मामले में सीबीआई का कहना है कि भंवरी के परिजनों की तरफ से कभी भी इन अस्थियों को सौंपने का आग्रह नहीं किया गया। भंवरी का पति अमरचंद भी दस साल से जेल में बंद था। कुछ दिन पूर्व ही वह जमानत पर जेल से बाहर आया है। वहीं, भंवरी के तीन बच्चों ने भी कभी इस मामले में पहल नहीं की। नियमानुसार भंवरी की अस्थियों को हासिल करने के लिए परिजनों को कोर्ट में आवेदन करना होगा। कोर्ट की अनुमति के बाद ही ये अस्थियां भंवरी के परिजनों को सौंपी जा सकती हैं।
मृत्यु प्रमाण पत्र के बगैर अस्थियां मिल नहीं सकती: भंवरी का बेटा
इस बारे में भंवरी के बेटे साहिल का कहना है कि अभी तक मेरी मां भंवरी का मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं मिल पाया है। मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए कई स्तर पर आवेदन कर इसे जारी करने का आग्रह कर चुके हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र के बगैर कोर्ट के माध्यम से अस्थियां मिल नहीं सकती। ऐसे में पूरी प्रक्रिया ही अटकी हुई है।
वहीं शनि धाम के महंत पंडित हेमंत बोहरा का कहना है कि हिन्दू संस्कृति में यह मान्यता है कि पूर्ण विधि विधान से जब तक किसी का अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, उसकी आत्मा भटकती रहती है। यह सभी हिन्दू पर लागू होता है।