बीकानेर। भैरव नाथ को गुड़ घी से बना ‘मोगरी चूरमा’ अथवा गुड़ का हलवा,इमरती और मिर्ची बड़ा चढ़ाने से भैरवनाथ जल्दी प्रसन्न होते है। भैरव साधक प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ बताते है कि भैरव नाथ साक्षात महाकाल है इसलिये इन्हें काल भैरव कहा जाता है, भैरवनाथ को प्रसन्न करने के लिये खाशकर भैरव अष्टमी को आटे की मोगरी बनाकर गुड़ की चासनी में तैयार मोगरी चूरमा,उड़द की दाल से बनी इमरती और मिर्ची के पकौड़े चढ़ाने चाहिये।
जो घोर संकट में उलझे हुवे है ,जो भयभीत है,शत्रुओं से घीरे है,कोर्ट कचहरी में फंस गए है,जो निर्बल साहसहीन महसूस करने लगे है उनको भैरवनाथ की शरणागत हो उनको भैरव अष्टमी की पूजा शीघ्र फल दे सकेगी। संध्या काल व मध्यरात्रि में भैरव मंदिर में दीप माला करनी चाहिये,वो भी विशेष रूप से उस मन्दिर में जो जंगल में अथवा जहां पूजा कम होती हो या जहां उचित रोशनी का अभाव हो उस मन्दिर में दीप माला करने से उसका फल कई गुना अधिक मिलता है। ऐसा करने पर उनके भय व संकट भैरवनाथ हर लेते है और उनमें नई सकारात्मक ऊर्जा व साहस आ जाता है। तेल सिंदूर वर्क की पोशाक व भैरव पूजा के समय ॐ भैरवाय नमः का 108 जाप भी करना चाहिये। भैरव साधक प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ बताते है कि भैरव भक्त स्व.छोटूजी ओझा भैरव तुम्बड़ी वाले बाबा कहते थे कि कलयुग में भैरवनाथ शीघ्रफल देने में हमेशा तत्तपर रहते है,बस शरणागति का भाव जरूरी है।