राजस्थान हाईकोर्ट ने 40 साल पुराने रेप प्रयास के मामले में आरोपी शिव प्रकाश को दोषी ठहराते हुए जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी को 2 सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है, अन्यथा पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।

घटना का विवरण

मामला 7 फरवरी 1985 का है, जब राजस्थान के बारां थाने में शिव प्रकाश के खिलाफ पांच साल की एक बच्ची के साथ रेप के प्रयास का केस दर्ज हुआ था। घटना के समय शिव प्रकाश की उम्र 20 वर्ष थी।

18 दिसंबर 1991 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शिव प्रकाश को पांच साल की जेल और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माना जमा न करने पर छह महीने की अतिरिक्त जेल की सजा का प्रावधान रखा गया था।

हाईकोर्ट में अपील और फैसला

1992 में शिव प्रकाश ने इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी। हालांकि, इस अपील पर निर्णय आने में 32 साल का समय लग गया। न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढंड ने शिव प्रकाश की अपील खारिज करते हुए उसे दोषी ठहराया।

सरकारी वकील मानवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि एफएसएल जांच में रेप प्रयास की पुष्टि हुई है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपराध के लिए इरादा और अपराध करने का प्रयास, दोनों ही साबित होते हैं। आरोपी ने इस कृत्य के परिणाम की ओर बढ़ने की कोशिश की, जो अपराध के तहत आता है।

वकील का तर्क खारिज

शिव प्रकाश के वकील प्रणव पारीक ने कोर्ट में तर्क दिया कि मामला विश्वसनीय नहीं है और इसमें विरोधाभास हैं। उन्होंने अपील को खारिज करने का अनुरोध किया। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

सरेंडर का आदेश

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में शिव प्रकाश को 2 सप्ताह के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है। यदि आरोपी निर्धारित समय में सरेंडर नहीं करता है, तो पुलिस को उसे गिरफ्तार कर जेल भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

समाज के लिए संदेश

यह फैसला न्यायिक प्रणाली की दृढ़ता को दर्शाता है, जहां दशकों बाद भी पीड़िता को न्याय दिलाने का प्रयास जारी रहा। इस मामले ने साबित किया है कि न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन दोषियों को सजा से बचने का अवसर नहीं मिलेगा।