जोधपुर

राजस्थान में बसपा के 6 विधायकों के दल बदलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को नोटिस जारी किया है। बसपा ने विधानसभा अध्यक्ष के बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल करने के फैसले को चुनौती दी है। बसपा ने इन विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए बसपा को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अर्जी लगाने को कहा था। विधानसभाध्यक्ष ने अपने फैसले को सही करार दिया था। इस पर बसपा सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट में आज न्यायाधीश अब्दुल नजीर व न्यायाधीश केएम जोसफ की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। बसपा के वकील की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने राजस्थान विधानसभाध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

विशेषज्ञ मान रहे हैं सीधा मामला

संविधान मामलों के जानकार जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के प्रो. दिनेश गहलोत का कहना है कि नियमानुसार देखा जाए तो यह बिलकुल सीधा मामला है। किसी पार्टी के दो तिहाई यदि दलबदल करते हैं तो दलबदल कानून उन पर लागू नहीं होता है। राजस्थान में तो बसपा के सभी 6 सदस्यों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। ऐसे में दलबदल कानून उन पर लागू नहीं होना चाहिए।

उदाहरण देते हुए गहलोत कहते हैं कि तेलगू देशम पार्टी के राज्यसभा में 4 सदस्य थे। सभी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसी तरह गोवा में कांग्रेस के 16 सदस्यों में से एक ने सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। वहीं 10 सदस्यों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इन पर भी दल बदल नियम लागू नहीं हो पाया। ऐसे में राजस्थान में भी बसपा के सभी छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर दल बदल विरोधी नियम लागू नहीं होना चाहिए।

इस तरह चला पूरा घटनाक्रम

  • 16 सितंबर 2019 को बसपा विधायकों ने स्पीकर को कांग्रेस में शामिल होने की अर्जी दी।
  • 18 सितंबर 2019 को स्पीकर ने बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया।
  • 16 मार्च 2020 को मदन दिलावर ने स्पीकर के समक्ष शिकायत याचिका पेश की।
  • 22 जुलाई 2020 को स्पीकर ने तकनीकी आधार पर दिलावर की याचिका को खारिज किया।
  • 24 जुलाई 2020 को मदन दिलावर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की,स्पीकर द्वारा कार्रवाई नहीं करने को चुनौती दी।
  • 27 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने मदन दिलावर की याचिका को खारिज किया, साथ ही बसपा के पक्षकार बनने की अर्जी भी खारिज की।
  • 29 जुलाई 2020 बसपा पार्टी और भाजपा विधायक मदन दिलावर की ओर से विलय को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।
  • 30 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने नोटिस जारी किए।
  • 4 अगस्त 2020 को बसपा पार्टी और मदन दिलावर ने खण्डपीठ में अपील पेश की, विलय को रद्द करने और वोटिंग पर स्टे देने की मांग की।
  • 5 अगस्त 2020 को बसपा पार्टी और दिलावर की अपील पर खण्डपीठ ने स्पीकर को नोटिस जारी किए।
  • 6 अगस्त 2020 को खण्डपीठ ने अपील का निस्तारण करते हुए विधायकों पर नोटिस तामील करवाने और एकलपीठ को स्टे एप्लीकेशन तय करने को कहा।
  • 11 अगस्त 2020 को एकलपीठ में सुनवाई शुरू जो तीन दिनों तक चली।
  • 24 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दोनों याचिकाओं को किया निस्तारित।
  • 7 जनवरी 2021 को बसपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई।