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जयपुर। राज्य की 35 माह पुरानी गहलोत सरकार को 122 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें 108 कांग्रेस के, 13 निर्दलीय और एक राष्ट्रीय लोकदल विधायक हैं। खास बात यह है कि इनमें से 60त्न से अधिक विधायकों की सत्ता में भागीदारी हो सकती है। अभी 38 विधायकों को भागीदारी मिल चुकी और 15 संसदीय सचिवों सहित 18 विधायकों को नियुक्ति मिलना तय है।इसमें सरकारी मुख्य सचेतक और विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं। वहीं, 40 राजनीतिक नियुक्तियां बोर्ड, आयोग और नगर सुधार न्यास में होनी हैं, इनमें भी विधायकों को जिम्मा मिलेगा। दूसरी ओर, महेश जोशी के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद सीकर से विधायक राजेंद्र पारीक को मुख्य सचेतक बनाने की तैयारी है।

वसुंधरा सरकार से डेढ़ गुना बड़ी टीम होगी

गहलोत कार्यकाल में

मुख्यमंत्री
19 कैबिनेट मंत्री
10 राज्य मंत्री
6 मुख्यमंत्री के सलाहकार
1 विधानसभा अध्यक्ष
1 उप सचेतक
आगे यहां मौका

1 विधानसभा उपाध्यक्ष
1 मुख्य सचेतक
1 सीएम सलाहकार
15 संसदीय सचिव
3 विकास प्राधिकरण
5 निगम, आयोग, बोर्ड
14 नगर सुधार न्यास
कुल- 78 नियुक्तियां

वसुंधरा कार्यकाल में

मुख्यमंत्री
17 कैबिनेट
6 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार
6 राज्यमंत्री
10 संसदीय सचिव
2 विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
2 मुख्य सचेतक और उपसचेतक
1 विधायक मगरा विकास बोर्ड चेयरमैन
1 विधायक सैनिक कल्याण बोर्ड चेयरमैन
1 विधायक नगर सुधार न्यास
47 नियुक्तियां

हर मंत्री पर औसत सरकारी खर्च करीब 4 लाख रुपए
कैबिनेट और राज्यमंत्री का खर्च

वेतन- कैबिनेट मंत्री का 65 हजार रु. महीना, राज्य मंत्री का 62 हजार रुपए
सत्कार भत्ता- 80 हजार रु.
पेट्रोल- मुख्यालय से बाहर जाने के लिए कार, स्थानीय इस्तेमाल के लिए 4 हजार लीटर
आवास- बंगला नहीं मिला तो 30 हजार रुपए महीना
फर्नीचर- 5 लाख रुपए
बिजली- 35 हजार यूनिट फ्री
पानी- 50 लाख लीटर फ्री
मेडिकल- सभी खर्च फ्री
टीए- ए क्लास अफसर जैसे
डीए- 2 हजार रु. रोज (अधिकतम 180 दिन)
डिस्क्रीशनरी फंड- 2 लाख रुपए सालाना
विधायक का खर्च

वेतन- 40 हजार रुपए
मकान किराया- 50 हजार
मेडिकल- ए क्लास अफसर जैसा
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता- 70 हजार रु.
फर्नीचर- 80 हजार रुपए
और संसदीय सचिव का

वेतन- 70 हजार रुपए
पेट्रोल- 4000 लीटर पेट्रोल
आवास- 3 हजार रुपए महीना
15त्न कैपिंग फिर भी रास्ते निकाले

2004 में संविधान संशोधन में नियम बना कुल सदस्य संख्या के 15त्न ही मंत्री बन सकते हैं। राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्य हैं, इसलिए सीएम सहित 30 मंत्री बन सकते हैं। लेकिन कैपिंग के बावजूद पूर्व में सरकार ने 30 से ज्यादा मंत्री बनाए और 80 से ज्यादा राजनीतिक नियुक्तियां की थीं।

इधर, छह सलाहकारों की नियुक्ति पर राज्यपाल ने गहलोत सरकार से जवाब मांगा

छह विधायकों की बतौर सीएम सलाहकार नियुक्ति और संसदीय सचिवों की सूची जारी होने की संभावनाओं पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिख नियुक्तियों को असंवैधानिक बताते हुए राज्यपाल से इस हस्तक्षेप की मांग की थी। मंगलवार को राजभवन ने राठौड़ के पत्र के आधार पर सरकार से जवाब मांग लिया। राठौड़ ने पत्र में लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 191 (ए) के तहत विधानसभा में कानून बनाए बिना पोस्ट ऑफ प्रॉफिट के नाम पर ऐसी नियुक्ति नहीं हो सकती। स्टेट लिस्ट में भी ऐसा प्रावधान नहीं है कि सरकार अपने स्तर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार या संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर सके।