बीकानेर। अच्छे वर व घर की कामना के साथ पिछले 15 दिनों तक मनाया जा रहा गणगौर पर कोरोना वायरस संक्रमण का कहर दिखाया दिया। जिसके चलते गणगौर पर पहले जैसी रौनक नजर नहीं आ रही है। पूरे देश को 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसे में में सामाजिक, धार्मिक आयोजनों के लिए लोगों के जुटने पर रोक लगी है। इसके बाद भी महिलाओं के मन में आस्था चरम पर है। आज कन्याओं की ओर से गणगौर की विदाई भारी मन से की जा रही है। हालांकि गणगौर भोळाणने की रस्म के तहत सख्ताई होने के चलते कन्याएं पीपल वृक्ष को ही पवित्र मानकर वहां पूजन सामग्री छोड़कर दुखी मन से गणगौर की विदाई कर रही है। जस्सूसर गेट पहुंची तो नजारा अलग ही देखने को मिला क ारण कि जिस जगह पर आज के दिन पैर रखने के लिए जगह नहीं मिलती थी। वहां आज मात्र चार से पांच बालिका पीपल के पेड़ पर अपना पारसियों को विसर्जित करती नजर आई।
घर में ही पूजी सोलह दिन की गणगौर
कुंवारी कन्याएं व सुहागिन महिलाएं 16 दिन तक गणगौर माता की पूजा करती हैं। घर-घर में गणगौर के गीत गूंजते हैं। हालांकि इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते ऐसा माहौल नहीं है। फिर भी उत्साह में कोई नहीं है। इस बार घर में ही गणगौर माता को बिठाया है। उनके लिए घर में ही विभिन्न व्यंजनों के भोग लगाएं। किन्तु उत्साह से गणगौर विदाई की पीड़ा हर एक कन्या व महिला के चेहरे पर देखी जा सकती है।
मरीजों की सेवा ही सबसे बढ़ी पूजा
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते अस्पतालों की हालत खराब है। लोग कोरोना वायरस से डर के मारे अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर होने के नाते मरीजों की सेवा ही सबसे बडी पूजा है। हर साल तो पडोस में जाकर गणगौर माता की पूजा करती हूं, लेकिन इस बार घर में ही सासू मां के साथ जल्दी उठकर पूजा कर ली। वैसे भी इस बार सोशल डिस्टेंस रखना ज्यादा जरूरी है।
डॉ. संतोष सुथार