दिल्ली बीजेपी के दिग्गज नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का लंबी बिमारी के बाद 66 साल की उम्र में निधन हो गया है। अरुण जेटली ने शनिवार 24 अगस्त को नई दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से अरुण जेटली दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे।

अरुण जेटली के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत तमाम राजनीतिक नेताओं ने पूर्व वित्त मंत्री के निधन पर शेक व्यक्त किया है।

शुक्रवार 9 अगस्त को अचानक सीने में दर्द उठने की परेशानी के बाद भाजपा नेता अरुण जेटली को एम्स में एडमिट कराया गया था। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का हाल जानने अस्पताल पहुंचे थे। शुक्रवार 17 अगस्त को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह अरुण जेटली की सेहत की जानकारी लेने पहुंचे थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली पिछले काफी से बीमार चल रहे हैं। सेहत ठीक न होने की वजह से ही अरुण जेटली ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में किसी भी तरह की जिम्मेदारी न लेने की इच्छा जताते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा था।

निधन की खबर सुनने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने अपना हैदराबाद का दौरा निरस्त कर दिया है और वह वापस दिल्ली लौट गए हैं। उन्होंने कहा कि जेटली का जाना एक निजी क्षति है। उन्होंने पार्टी का बड़ा नेता व एक अहम सदस्य खो दिया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जेटली के निधन की खबर से वह दुखी है। कांग्रेस पार्टी ने भी उनके निधन पर शोक जताया है तथा दुख की घड़ी में परिवार के साथ संवेदना जताई है।

संसद में सरकार के संकटमोचक : मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त, रक्षा और सूचना प्रसारण जैसे अतिमहत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले अरुण जेटली को संसद में सरकार के संकटमोचक माना जाता था. यानी जब भी सरकार को कोई समस्या आई जेटली ने अपने अनुभव से उसे दूर करने का काम किया. जेटली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे, इसके बाद विपक्ष की भूमिका में भी जेटली बेहद मुखर प्रवक्ता रहे औक यूपीए सरकार को निशाने पर लेते रहे. उन्हें एनडीए का सफल रणनीतिकार भी माना जाता था.

47 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने : अरुण जेटली के संसदीय सफर की बात करें तो वे 47 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने. 19 अक्टूबर 1999 को अरुण जेटली वाजपेयी सरकार में मंत्री बने. सबसे पहले सूचना-प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बने. इसके बाद उन्हें विनिवेश मंत्रालय, कानून मंत्रालय, उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय का भी जिम्मा मिला. साल 2000 में जेटली पहली बार कैबिनेट मंत्री बने.