बीकानेर। ज्योतिष विधा आज अपने वैज्ञानिक रूप-स्वरूप के कारण आम आदमी के बीच अपनी गहरी पहचान बना चुकी है। यही कारण है कि आज यह विधा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी अहम भूमिका निभा रही है। किसी भी कला के प्रति व्यक्ति विशेष का समर्पण एवं उसमें नवाचार करना महत्वपूर्ण उपलब्धि होता है।
ऐसी ही महत्वपूर्ण उपलब्धि नगर के ही नहीं प्रदेश-देश में ख्याति प्राप्त ज्योतिष विधा के वरिष्ठ साधक हरिनारायण व्यास ‘मन्नासाÓ ने प्राप्त की है। आप ने ज्योतिष के हर पक्ष को वैज्ञानिक तर्क के साथ सही साबित करने का उपक्रम किया है। ऐसे व्यक्तित्व और कृतित्व के धनी का नागरिक अभिनंदन करना समाज का दायित्व बनता है। इसी दायित्व का निर्वहन करने की अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए रचाव संस्थान एवं थार विरासत ने ‘मन्नासाÓ को ज्योतिषराज अलंकरण उपाधि से विभूषित किया है।
इसके साथ ही आपका भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह स्थानीय नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम, नागरी भंडार में रविवार देर शाम को आयोजित किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज ने अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि ज्योतिष प्राचीन भारतीय विद्या है। और समृद्ध भारतीय परंपरा का अंग है। इसी समृद्ध परंपरा को सच्चे एवं सही अर्थो में जीने वाले ‘मन्नासाÓ ने इसे नए आयाम दिए हैं। उन्होंने आगे कहा कि ज्योतिष-साहित्य सृजन के क्षेत्र में भी मन्नासा ने दो पुस्तकों की रचना कर महत्वपूर्ण कार्य किया है। साथ ही इस कला के प्रति आपका समर्पण, आपकी शोध परख दृष्टि के कारण ही आज आप इस विद्या को जन-जन तक पहुॅंचाने का सार्थक काम कर रहे है।
समारोह के मुख्य अतिथि भवानीशंकर व्यास ‘विनोदÓ ने इसे ऐतिहासिक नागरिक अभिनंदन बताते हुए कहा कि ‘मन्नासाÓ ने ज्योतिष के क्षेत्र में शोधपरक कार्य कर एक नवाचार किया है, क्योंकि इस विधा में शोध कार्य नहीं के बराबर हुए हैं। व्यास ने आगे कहा कि बीकानेर में ज्योतिष शोध केन्द्र या संस्थान की स्थापना की महती आवश्यकता है ताकि इस महत्वपूर्ण विधा पर और अधिक कार्य हो सके।
समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने कहा कि सही प्रतिभाओं का चयन कर उन्हें सम्मान देना एक स्वस्थ परंपरा है। आचार्य ने रचाव और थार विरासत द्वारा ‘मन्नासाÓ जैसे समर्पित भाव से ज्योतिष के क्षेत्र में कार्य करने वाले को ज्योतिषराज अलंकरण से विभूषित करने एवं उनका नागरिक अभिनंदन करने पर आयोजकों का साधुवाद ज्ञापित किया। आचार्य ने आगे कहा कि ‘मन्नासाÓ राष्ट्र ही नहीं विदेशों तक इस नगर की ज्योतिष विधा का परचम फहरा चुके हैं। और इस विधा को उन्होंने कभी भी किसी भी स्तर पर व्यवसाय का रूप नहीं दिया, ये बहुत ही महत्वपूर्ण बात है।
समारोह के स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि मन्नासा असल में ज्योतिष करते नहीं हैं असल में वह उसे सही अर्थों में जीते है। आपने अपनी इस कला के माध्यम से देश विदेश की सैकड़ों जानी-मानी हस्तियोंं को प्रभावित किया है। जिससे यहां एक ओर ज्योतिष विद्या का दबदबा बना है। वहीं मन्नासा के किये गये फलादेश आदि की भी शत प्रतिशत पूर्ति एवं प्राप्ति के कारण लोगों में ज्योतिष के प्रति विश्वास बढा है।
समारोह में मन्नासा का मंत्रोचारण के साथ तिलक पं. शिवशंकर भादाणी ने किया। श्रीफल राजेश रंगा ने एवं पाग भेंट कमल रंगा ने की। इस क्रम में कवि संजय आचार्य ‘वरूणÓ द्वारा वाचित अभिनन्दन पत्र शॉल माला, प्रतीक चिन्ह अतिथियों ने अर्पित किए।
अपने सम्मान के प्रति उतर में ज्योतिषराज हरिनारायण व्यास ‘मन्नासाÓ ने बड़े विनम्र भाव से कहा कि मैं तो अभी ज्योतिष विद्या की विद्यार्थी हूँ। संस्थाओं द्वारा मेरा अभिनन्दन करना सुखद तो है वहीं मेरे लिए एक चुनौति भरा कार्य भी है। क्योंकि आप से इस कला के प्रति मेरी जिम्मेदारी और अधिक बढ जाती है, मैं इस चुनोति पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगा।
इस अवसर पर रचाव एवं थार विरासत प्रज्ञालय संस्थान, राजस्थानी युवा लेखक संघ, राव बीकाजी, संस्थान, श्रीशिवराज ज्योतिष शोध संस्थान, संकल्प नाट्य समिति, मस्तान एकेडमी, बीकानेर साहत्य-संस्कृति कला संगम, राजस्थानी साफा-पाग-पगड़ी कला संस्थान, पश्चिम राजस्थान खेल लेखक संघ, राष्ट्रीय कवि चौपाल, पारीक समाज, मूमल कला केन्द्र, विजेता स्टार, मरूगंधा, बुनियाद साहित्य एवं कला संस्था, नवयुवक कला मण्डल, अजीज आजाद लिट्रेरी सोसायटी, सखा संगम, करूणा क्लब इकाई, कुमावत महासभा, श्रीमती कमला-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट, बीकानेर ने उनका स्वागत किया। वहीं अनेक संस्थाओं उनके प्रशंसकों, उनके शिष्यों, उनके परिजनों के साथ-साथ नगर की कई कला विधा गणमान्यों ने उनका आत्मिक स्वागत किया।
सभी का आभार रचाव संस्थान के अध्यक्ष राजेश रंगा ने ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रतिभाओं का सम्मान करना और अपने सामाजिक सरोकारेां का निवर्हन करना संस्था का दायित्व है और खास तौर से ऐसी प्रतिभा का मान-सम्मान कर हम सभी को गौरव की अनुभूति हो रही है।