प्रदेश में हर कोचिंग सेंटर युवाओं को डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की होड़ में जुट गया है। साथ ही बच्चों का प्रतिस्पर्धा में कमजोर साबित होना सुसाइड को बढ़ावा दे रहा है। अंधे कॉम्पिटीशन के बीच ये कोचिंग सेंटर सफलता दिलाने के नाम पर भारी-भरकम फीस वसूली कर अंधाधुंध एडमिशन दे रहे हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के स्टूडेंट्स कोटा, जयपुर सहित प्रदेश के नामी गिरामी कोचिंग सेंटरों पर दाखिला लेते हैं, लेकिन थकहार कर अनजाने प्रेशर से मौत को गले लगा लेते हैं। आंकड़ों की बात करें तो 2015 से लेकर अब तक अकेले कोटा के कोचिंग सेंटरों में पढऩे वाले 75 युवाओं ने मौत को गले लगा लिया।

यही नहीं सफलता के भारी दावे करने वाले इन कोचिंग सेंटरों की सफलता का आंकड़ा रिव्यू करने वाली कोई संस्था आज तक अस्तित्व में नहीं आ पाई। बड़े कोचिंग सेंटरों के साथ अन्य कई छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर तेजी से फल फूल गए हैं। जयपुर, जोधपुर, सीकर, गंगानगर, उदयपुर, बीकानेर सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में भी इन कोचिंग संस्थानों की लगातार ब्रांच खुलती जा रही हैं।

सबसे खराब हालात कोटा में हैं जहां लगातार इन कोचिंग सेंटरों में पढऩे वाले बच्चों की लगातार आत्महत्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। 2015 में 30, 2016 में 18, 2017 में 15, 2018 में 19 और इस साल भी अब तक कोचिंग संस्थाओं के 6 छात्रों ने मौत को अपने गले लगा लिया है। लगातार हो रही आत्महत्याओं के बावजूद प्रशासन के स्तर पर कोचिंग संस्थाओं पर लगाम कसने के ठोस उपाय नहीं हुए। ऐसे में यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सालाना 2 हजार करोड़ का जो कोचिंग बिजनेस हैं।


करीब 2000 करोड़ टर्नऑवर का कोचिंग बिजनेस है कोटा का सालाना, करीब दो लाख छात्र-छात्राएं ले रहे हैं कोटा में विभिन्न प्रकार की कोचिंग, सरकार को करीब सौ करोड़ के आसपास का टैक्स चुकाते हैं ये सेंटर, 3000 से ज्यादा हॉस्टल्स और पीजी चल रहे हैं कोटा शहर और आसपास के इलाकों में, कॉमर्शिलाजेशन के चक्कर में नियम-कायदों को ताक पर रख देते हैं ये सेंटर, कोचिंग सेंटरों के रिजल्ट का रिव्यू करने वाली कोई संस्था नहीं अस्तित्व में, सूरत हादसे के बाद कलई खुली कई संस्थानों की, लेकिन नहीं लिया सबक

कब कितनी आत्महत्याएं- 2001- 11, 2002- 09, 2003- 21, 2004- 21, 2005- 15, 2006- 10, 2007- 32, 2008- 08, 2009- 15, 2010- 09, 2011- 04, 2012- 02, 2013- 17, 2014- 28, 2015- 30, 2016- 18, 2017- 15, 2018- 19