बीकानेर। नौरंगदेसर के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय में पोषाहार व दूध योजना में गड़बड़झाला सामने आया है। इस मामले में स्कूल के प्रधानाध्यापक पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी लगे हैं। पूर्व में हुई जांचों में भी आरोप प्रमाणित माने गए थे। गत 3 अप्रेल को मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाचार्य के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम बनाकर जांच के आदेश दिए थे, जिसने अपनी रिपोर्ट सीबीईओ को सौंप दी है। रिपोर्ट पर संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा कार्रवाई करेंगे।
प्रधानाध्यापक शिवकुमार के खिलाफ शिकायत मिली थी, इसमें मिड-डे-मील योजना के तहत पोषाहार व अन्नूपूर्णा दूध योजना के तहत फर्जी तरीके से लाभान्वित बच्चों की संख्या दिखाकर भुगतान उठाने का आरोप है। इसके अलावा शाला एवं छात्रहित में इनका व्यवहार प्रतिकूल होने के आरोप लगाए गए। गत 3 अप्रेल को सीबीईओ ने प्रधानाचार्य लोकेश आत्रेय व विष्णु स्वामी की टीम बनाकर जांच के आदेश दिए थे। टीम ने जांच के दौरान विभिन्न तथ्यों पर अपनी रिपोर्ट दी है। पूर्व में शिकायतें मिलने के बाद सीबीईओ ने ऑफिस सील कर दिया था लेकिन बाद में सील तोड़ दी गई। सीबीईओ के निर्देश पर सील के ऊपर अलग से ताला लगाया गया।
जानकारी के अनुसार जब जांच टीम ने प्रधानाध्यापक को ऑफिस खोलकर रिकॉर्ड दिखाने का कहा, तो उन्होंने अपने पास से थैले से रिकॉर्ड निकालकर टीम को दे दिया, जबकि उच्चाधिकारियों के लिखित आदेश के बिना रिकॉर्ड स्कूल से बाहर नहीं ले जाया जा सकता। इसे भी टीम ने गंभीर लापरवाही माना है। जानकारी के अनुसार कैंशबुक के प्रथम पृष्ठ को प्रमाणित कर पृष्ठांकन किया जाता है, जिसमें एसएमसी अध्यक्ष व सचिव के हस्ताक्षर होते हैं, परन्तु नौरंगदेसर के बालिका उप्रावि में कैशबुक पर किसी प्रकार के हस्ताक्षर व प्रमाणीकरण नहीं मिला। माना जा रहा है कि कैशबुक को नए सिरे से बना दिया गया है। पूर्व में जिला कलक्टर के निर्देश पर एमडीएम का सघन निरीक्षण किया गया, तब स्कूल में निरीक्षण करने पहुंची टीम ने उपस्थिति के अनुसार प्रतिदिन पोषाहार व दूध वितरण को संदिग्ध माना। इस दौरान बच्चों से जानकारी ली, तो लगभग आधे बच्चों ने प्रतिदिन पोषाहार नहीं खाने तथा दूध नहीं पीने की बात कही, जिसकी सूचना टीम ने सीबीईओ को दी थी।
प्रधानाध्यापक ने फरवरी में पोषाहार खत्म होना बता दिया, जबकि आकस्मिक निरीक्षण में साढ़े चार क्विंटल पोषाहार अधिशेष पाया गया। स्कूलों में टीएलएम के नाम से प्रत्येक शिक्षक को चार्ट, पोस्टर व अन्य शिक्षण सहायक सामग्री के लिए पांच-पांच सौ रुपए दिए जाते हैं लेकिन इस विद्यालय में एक साल से अधिक समय से उक्त राशि को निकाला ही नहीं गया, जबकि प्रधानाध्यापक ने राशि शिक्षकों को देने की जानकारी दी। शिकायत में शिक्षिकाओं के प्रति भी व्यवहार अच्छा नहीं होने के आरोप लगाए गए, जिसकी रिपोर्ट भी दी गई है। जांच अधिकारी लोकेश आत्रेय ने बताया कि नौरंगदेसर के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के खिलाफ शिकायत की जांच सौंपी गई थी। सभी बिंदुओं पर जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को सौंप दी है। आगे की कार्रवाई उनके द्वारा की जानी है। जांच रिपोर्ट गोपनीय है। इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकता हूूं।