बीकानेर । डूंगर काॅलेज के इतिहास विभाग द्वारा शुक्रवार को स्व. नरपत सिंह राजवी स्मृति छात्रवृति वितरण समारोह एवं व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता इतिहासकार एवं चिन्तक डाॅ. नन्द किशोर आचार्य, विशिष्ट अतिथि श्री मगन सिंह राजवी एवं अध्यक्षतां पूर्व प्राचार्य डाॅ. बेला भनोत ने की।
इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. चन्द्र शेखर कच्छावा ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलन कर शुभारम्भ किया। वरिष्ठ संकाय सदस्य डाॅ. अनिला पुरोहित ने अतिथियों का परिचय कराते हुए विषय प्रवर्तन किया।
मुख्य अतिथि डाॅ. नन्द किशोर आचार्य ने कहा कि किसी भी बीमारी का निदान और उपचार स्वयं में प्रासंगिक होता है। उन्होनें कहा कि तकनीक मूल्यनिरपेक्ष नहीं होती है। इतिहास में परिवर्तन उत्पादन के संबंध एवं शक्ति में परिवर्तन से जुड़ा होता है। श्री आचार्य ने रूस और अमेरिका की तकनीकी शक्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी देश की सरकार यदि तकनीक को आगे बढ़ाती है तो वह युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं करवा सकती है। क्योंकि जितनी मानवीय हस्तक्षेप होता है तकनीक उतनी ही कमजोर होती है। डाॅ. आचार्य ने पर्यावरण के बढ़ते दोहन तथा युवाओं में सोशल मीडिया के प्रति बढ़ती रूचि पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की। उन्होनें कहा कि आज का युवा इन्द्रियों की संतुष्टि पर अधिक ध्यान दे रहे हैं जबकि उनका चेतना की ओर अधिक ध्यान नहीं होता है। चेतना के विकास हाने से ही जीवन का विकास होता है। डाॅ. आचार्य ने विकसित और विकासशील देशों के मध्य अत्याधुनिक हथियारों की बढ़ती होढ़ के प्रति भी गहरी चिन्ता व्यक्त की।
उद्बोधन में डाॅ. बेला भनोत ने कहा कि गांधी जी ने सदैव मानवता का संन्देश दिया था। उन्होनेें गांधीजी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधीजी भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे तथा उन्होनें हमेशा सत्य की परिभाष को सही रूप में परिभाषित किया। डाॅ. भनोत ने कहा कि आज के युवाओं को गांधी जी की जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिये तथा उनके बुरा नहीं करना, बुरा नहीं देखना तथा बुरा नहीं सुनना को जीवन में उतारने की अपील की। डाॅ. बेला भनोत ने बताया कि समय, अनुशासन तथा घैर्य आज के युग की महती आवश्यकता हैै।श्री नरपत सिंह राजवी ने भी इस प्रकार के कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सुखाराम ने किया तथा डाॅ. बिन्दु भसीन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में रोहित पारीक को प्रथम वर्ष, विकासनाथ को द्वितीय वर्ष, प्रभुदयाल को तृतीय वर्ष, राजेश कुमारी को एम.ए.पूर्वार्द्ध तथा नन्दराम को एम.एम उतरार्द्ध इतिहास विषय में सर्वोच्च अंक लाने पर सम्मानित कर छात्रवृति प्रदान की गयी।
इस अवसर पर डाॅ. प्रेरणा माहेश्वरी, डाॅ. राजेन्द्र राजपुरोहित, डाॅ.मोहम्मद हुसैन, डाॅ. बजरंग सिंह राठौड़, डाॅ. नारायण सिंह राव, डाॅ. मेघना शर्मा तथा नरपत सिंह राजवी के परिवाजन उपस्थित रहे।