शपथग्रहण समारोह में नहीं दिखे अखिलेशए मायावती और वाम दलों के नेता
बीकानेर। केन्द्र में वर्ष-2019 में भाजपा की सरकार और नरेन्द्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए बन रहे विपक्षी दलों के गठबंधन में आज दरार सी होती नजर आई।
गुलाबी नगरी जयपुर के अल्बर्ट हॉल में सजे मंच पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के अध्यक्ष सहित अन्य आला नेता और अन्य दलों के बड़े नेता तो मौजूद रहे पर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती वहां कहीं नजर नहीं आए। वाम दलों की तरफ से भी बड़ा चेहरा नहीं दिखाई दिया।
कांग्रेस ने अखिलेश और मायावती जैसे विपक्ष के बड़े चेहरों की गैरमौजूदगी को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की कोशिश करते हुए कहा गया कि कांग्रेस में शपथ ग्रहण ‘शक्ति प्रदर्शन का अवसर नहीं होता है।’ सपा एवं बसपा विपक्षी एकजुटता के साथ हैं।
वैसे, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटकनी देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता की धुरी बनते दिखे तो दूसरे कई विपक्षी दलों के आला नेताओं की शिरकत ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यापक गठबन्धन से जुड़ी कांग्रेस की उम्मीदों को पर लगाने का काम किया।
शपथ ग्रहण में राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एचडी देवगौड़ा और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ तेलुगू देसम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेन्स के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी शामिल हुए।
इनके साथ झामुमो नेता हेमंत सोरेन और हिंदुस्तान अवामी मोर्चा के जीतन राम मांझी भी मौजूद थे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, भूपेंद्र हुड्डा, सिद्धरमैया, आनंद शर्मा, तरुण गोगोई, नवजोत सिंह सिद्धू, अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे।
सपा, बसपा और वाम दलों के बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी के बारे कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना था कि ‘शपथ ग्रहण समारोह शक्ति प्रदर्शन के अवसर नहीं होते हैं। इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि सपा और बसपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया है।’
विपक्षी एकजुटता के बारे में उन्होंने कहा कि ‘जनता के मुद्दों पर स्वस्थ और साफ.-सुथरी राजनीति को बहाल करने में हम एकजुट हों। विपक्षी दल इसी भावना से काम कर रहे हैं।’