मतदाता नाराज, चुनाव सबक सिखाने की तैयारी। नेताओं की कथनी और करनी में फर्क से नाराज दिख रहे हैं लोग।
लोगों का कहना है कि जब पार्टी के शीर्ष नेता ही अपने वादों पर खरे नहीं उतर रहे हैं तो जनता कैसे पार्टी पर विश्वास करेगी।
बीकानेर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले करीब तीन महीने से पैराशुटी उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने की बात कहते आ रहे थे।
उन्होंने बार-बार कहा कि पार्टी उन्हीं लोगों को उम्मीदवार बनाएगी, जो लम्बे समय से पार्टी के लिए कार्य करते रहे हों। अगर किसी ने पैराशुट से उतरने की कोशिश की तो मैं पैराशुट की रस्सी काट दूंगा।
राहुल गांधी यह सब कहते ही रह गए और बीकानेर में ऐसे प्रत्याशी टिकट हासिल करने में कामयाब होकर पैराशूट से उतर गए। जिनका पिछले पांच-छह दिनों पहले कांग्रेस से दूर तक का कोई वास्ता तक नहीं था। राहुल ने तो पैराशूट की रस्सी नहीं काटी लेकिन अब मतदाता पैराशूट की रस्सी काटने के लिए तैयार हो गए हैं और सात दिसम्बर का इंतजार कर रहे हैं।
पार्टी ने जैसे ही जिले में पैराशूट से उम्मीदवार उतारा वैसे ही पार्टी के निष्ठावान लोग हतप्रभ रह गए। पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने तो मीडिया के सामने अपना दुख और आक्रोश व्यक्त कर दिया। लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं की पीड़ा यह थी कि उनकी पार्टी के ही आला नेता इस पैराशूटी उम्मीदवार की पैरवी करके अपनी राहों के कांटें निकालने की भरपूर कोशिश में थे।
पार्टी के दावेदारों ने कल्पना तक नहीं की थी कि निष्ठावान तथा समर्पित लोगों को चुनाव मैदान में दावे कर रही उनकी पार्टी ऐसा भी कर सकती है लेकिन हुआ ऐसा ही। धनबल के आगे निष्ठा और समर्पण धरा रह गया।
जिस प्रकार से जिले में पैराशूटी उम्मीदवार उतारा है उसे देखकर मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति गहरा विरोध देखने को मिल रहा है। नाराजगी भरे माहौल में लोगों में इस बारे में चर्चा की जा रही हैं।
लोगों का मानना है कि कांग्रेस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के ही निर्देश चलते हैं और राहुल गांधी ने ही पैराशुट से प्रत्याशी नहीं उतारे जाने की बात प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों में भी की थी। इसके बावजूद उन्होंने यहां पैराशूट से प्रत्याशी उतार दिया है तो कांग्रेस पर भरोसा करना मुश्किल होता जा रहा है।