एक वर्ष में कर्ज बढ़ा 18 से 20 प्रतिशत
अगस्त, 2023 तक कर्ज हो गया था 5,37,013 करोड़ रुपये
देवेन्द्र वाणी न्यूज, बीकानेर। प्रदेश की जनता ने परंपरा को बरकरार रखते हुए फिर से बीजेपी पर भरोसा जताया है। इस बार प्रदेश के मुख्यमंत्री का ताज सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से जीत कर आए भजनलाल शर्मा के सिर पर सजा है। दरअसल, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उनकी सरकार के लिए शासन की राहें आसान नहीं रहने वाली है।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान कर्ज के बोझ में डूबा पड़ा है। इनमें से ज्यादा कर्ज अशोक गहलोत की सरकार में लिये गए। ऐसे में सवाल यही उठता है कि अब आगे क्या होगा?राजनीतिक पंडितों के अनुसार प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान जनता को लुभाने के लिए एक के बाद एक कई घोषणाएं की थीं। इसके अलावा गहलोत सरकार ने चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए सरकारी योजनाओं के जरिये खूब पैसा बहाया। लेकिन अब जब मतदाओं ने बीजेपी पर भरोसा जताया है तो कर्ज का यह बोझ नई सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। अप्रैल से अगस्त, 2023 तक ही राजस्थान सरकार ने 12288 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आरबीआई की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 के दौरान राज्य का कर्ज बढक़र 5,37,013 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
पंजाब के बाद राजस्थान पर सबसे ज्यादा कर्ज का बोझकर्ज लेने के मामले में राजस्थान, पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर है। एक साल पहले राजस्थान पर कर्ज का बोझ 4,58,089 करोड़ रुपये था। जो कि चुनावी साल में बढक़र 5,37,013 रुपये हो गया। यानी एक साल में कर्ज का बोझ करीब 18 से 20 फीसदी बढ़ गया। कर्ज का बड़ा कारण सरकारी योजनाओं पर किया गया खर्च भी माना जा रहा है। नई सरकार पर योजनाओं को जारी रखने के साथ ही पहले से बेहतर करने का दबाव रहता है। ऐसे में राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारना बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। प्रदेश की प्रति व्यक्ति आयसाल, 2023 में जारी किये गए एनएसडीपी आंकड़े के अनुसार राजस्थान की प्रति व्यक्ति आय 156,149 रुपये है। वर्ष, 2022 में यह आंकड़ा 135, 962 रुपये था।