बीकानेर, राष्ट्रीय आंदोलन के द्वारा संचालित “भारतीय देशी गोवंश राष्ट्रीय धरोहर महाअभियान”” के अंतर्गत आज शिवबाड़ी मठ मंदिर के महंत अधिष्ठाता पूज्य संवित विमर्शानंद गिरी जी महाराज के कर कमलो से गाय को राष्ट्रीय धरोहर बनाने, उसकी महत्ता को अंतर्राष्ट्रीय रूप में स्थापित करने के महा अभियान का एक पत्र लिखकर शुभारंभ किया गया।आज ,माननीय राष्ट्रपति महोदय भारत ,माननीय उपराष्ट्रपति महोदय भारत,माननीय प्रधानमंत्री महोदय भारत सरकार नई दिल्ली,माननीय लोकसभा अध्यक्ष महोदय भारत सरकार,माननीय गृह मंत्री महोदय भारत सरकार,माननीय मुख्यमंत्री महोदय,समस्त राज्य व केंद्र शासित प्रदेश भारत गणराज्य, को पत्र प्रेषित कर पुज्य गौ माता के विषय- गाय वह गोचर को उचित संरक्षण एवं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने के आग्रह किया गया। इस अवसर पर ब्रह्मचारी गोविंद स्वरूप जी महाराज ने कहा कि भारतीय देशी गोवंश हमारे राष्ट्र की धरोहर है, और सनातन काल से यह सनातन धर्म का आस्था का केंद्र रही है, वह वैज्ञानिक आधार पर,यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि की अधिष्ठात्री रही है, गाय के कारण से भारतीय कृषि, विश्व का स्वास्थ्य आज तक अक्षुण बना रहा है, इन्ही धार्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए गाय को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करे। संस्थान के मनोज कुमार सेवक ने कहा कि भारतीय देसी गोवंश एक राष्ट्रीय धरोहर है, इसलिए भारत सरकार से आग्रह है कि,अति शीघ्र भारतीय समाज वह संगठनों की महति मांगों पर कार्य कर सनातन हिंदू समाज की भावनाओं का आदर करें। इस महति अवसर पर इस महाअभियान के राष्ट्रीय संयोजक सूरजमालसिंह नीमराणा ने कहा कि   भारतीय देशी गोवंश की समस्त श्रेणी, प्रजाति को “”राष्ट्रीय धरोहर”” घोषित किया जावे। धरोहर बनाने के लिए तीन बिंदु की आवश्यकता पड़ती है, प्रथम- उस वस्तु, व्यक्ति, जीव, जिसका सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण, धार्मिक, आध्यात्मिक, महत्व हो। दूसरा- जो मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी हो, तीसरा- जिसकी नस्ल, प्रजाति समाप्त होने के समीप (कगार) पर हो। यह तीनो ही बातें भारतीय देशी गोवंश के संदर्भ में स्टिक उतरती है, भारतीय देशी गोवंश की बहुत सी नस्लें समाप्ति के समिप पर है, और यह मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, आर्थिक प्रबंधन, आदि के लिए भी बहुत उपयोगी है। अतः इसे धरोहर घोषित करके गौमाता को सम्मान प्रदान किया जावे।  इस अवसर पर ग्लोबल हिंदू फेडरेशन के प्रदेश महासचिव जलज सिंह ने कहा कि   भारतीय देशी गोवंश की समस्त प्रजाति को उसके “”अनुवांशिक नाम से पुकारा जावे”” ना कि कैटल (मवेशी) शब्द से, सरकारी शब्दावली में गोवंश को उसके “वास्तविक नाम से पुकारा जावे”” जैसे- गाय, बछड़ा, बछड़ी, बैल, नंदी, सांड आदि आदि और अंग्रेजी में काऊ,बुल,काफ,ओक्स,आदि। आज के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सनातन धर्म प्रचारणी सभा के प्रेम सिंह राठौड़ ने कहा कि   भारत सरकार अति शीघ्र “विश्व गाय दिवस”” की घोषणा यूनस्को से करवाएं। क्योंकि किसी भी दिवस की घोषणा उस वस्तु, धरोहर, मान्यता, गुण, उपयोगिता, मानव जीवन पर प्रभाव, पर्यावरण, स्वास्थ्य, आदि पर प्रभाव, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, उन्नति पर प्रभाव, अथवा वह प्रजाति विलुप्त्ति के समीप हो अथवा उसका बहुत ज्यादा हास हो रहा हो,आदि को देखकर उस जीव,प्राणी, व्यक्ति, वस्तु आदि के नाम से दिवस की घोषणा की जाती है। जो कि हमारी गाय पर उपरोक्त सभी बिंदु सटीक बैठते हैं इसलिए हमारी भारतीय प्रजाति की देसी गाय, के संदर्भ में “”विश्व गाय दिवस”” घोषित होने के योग्य है। इस अवसर पर गौ भक्त गोचर संरक्षक सूरज प्रकाश राव ने कहा कि  गोचर की मान्यता हेतु-भारतीय पर्यावरण मान्यताओं,गोवंश के शून्य आधारित गोपालन व्यवस्था के लिए, हमारे पूर्वजों द्वारा धारित मान्यताओं पर संरक्षित संपत्ति के रूप में गोचर का विचार, गाय के स्वस्थ और संवर्धन के लिए अतिउत्तम विचार था। उसे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक राजा, महाराजाओं, सेठ, साहूकारों, दानदाताओं ने स्वयं पैसे देकर तत्कालीन सरकारों से भूमी खरीदकर उसे गोचर के रूप में विकसित किया। हमारा माननीय केंद्र/राज्य  सरकार से निवेदन है कि वर्तमान में गोचर का नामांतरण राज्य सरकार के पास होता है, सरकार इस नामांतरण को “”गाय”” के नाम से करके, इसे पूर्ण रूप से सुरक्षित करें। भविष्य में गोचर की मालिक गाय हो, अतः इसे सरकारी रिकॉर्ड में “”मालिक गाय”” दर्ज किया जावे, जिस प्रकार राजस्थान की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने मंदिर माफी की भूमि, डोली की भूमि को “ठाकुर जी” के नाम कर दिया था और वह आज ठाकुर जी के नाम लिखी जाती है, इसी प्रकार गोचर की “मालिक गाय” को बनाकर उसके नाम जमीन का नामांतरण किया जावे। आज के इस कार्यक्रम में पार्षद अनूप गहलोत ने कहा कि  भारतीय संविधान में गौ माता को अभय प्राप्त है, शास्त्रों में भी इसे अधन्य कहा गया है, भारतीय संविधान लिखने वालों ने उस समय कहा था कि, भारत की आजादी से भी बड़ा प्रसन्न संपूर्ण गोहत्या बंदी है, परंतु आज 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून नहीं ला पाई, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। आज गाय की बात करने वाली भाजपा सरकार भी संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून नहीं ला पाई, इस विषय को लेकर संपूर्ण हिंदू समाज में, गौ भक्तों में, संत समाज में रोष व्याप्त है सरकार अति शीघ्र “”संपूर्ण गोहत्या बंदी कानून”” लागू करें। अन्यथा अब सब्र का बांध टूट चुका है, कड़ा आंदोलन किया जाएगा। इस अवसर पर श्री किशोर जी बाठिया ने कहा कि 16 नवंबर 1966 को बलिदान हुवे गोभक्त के बलिदान स्थल, जंतर मंतर दिल्ली के पास के स्थान को “”गोभक्त बलिदान स्मारक”” घोषित किया जाए। वह 16 नवंबर 1966 के दिवस को “”गौ वक्त बलिदान दिवस”” के रूप में घोषित किया जाए। शिवबाडी के महंत अधिष्ठाता संवित विमर्शानंद गीरि जी महाराज ने कहा कि भारत सरकार उपरोक्त विषय पर अति शीघ्र कानून बनाकर गोचर व गाय को उसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलवाकर, संपूर्ण गोहत्या बंदी कर, गौ माता को संरक्षण प्रदान करे और सनातन धर्म को मानने वाले सभी योद्धाओं से निवेदन है कि वह भी गाय को वास्तविक मां मानकर कार्य करें, जिस दिन आप इसे वास्तविक मां मानने लग जाएंगे, उस दिन रोड पर गाय मिलना बंद हो जाएगी, संगठन का यह सार्थक प्रयास है। इस प्रयास से गौ माता को जो मान सम्मान मिलने वाला है, उसके लिए अग्रिम शुभकामनाएं भारत सरकार भी अति शीघ्र इस पर नियम बनाकर हमारी पूज्य गौ माता को सम्मान प्रदान करेंगे। आज के इस महती कार्यक्रम में हरि किशन जी व्यास,  नरेंद्र स्वामी श्री, विजय सिंह जी, रघुनाथ सिंह जी, चांदवीर सिंह नीमराणा, अजय खत्री, बैरीसाल सिंह, विनोद कुमार सियाग आदि ने भाग लिया।