बीकानेर. सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन इन दांवों को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी रैंकिंग आईना दिखा रही है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला का गृह जिला एवं शिक्षा विभाग का मुख्यालय बीकानेर इसमें पिछड़ा साबित हुआ है। सितंबर माह की रैंकिंग में 33 जिलों में बीकानेर 32वें पायदान पर रहा है। बीकानेर को 375 में से 168.07 अंक मिले हैं। शिक्षा मंत्री का जिला 45 फीसदी अंक भी हासिल नहीं कर सका। थर्ड डिविजन पास हुआ है। अंतिम तीन स्थानों पर 31वें स्थान पर अजमेर, 32वें स्थान पर बीकानेर तथा 33वें स्थान पर जैसलमेर जिले का नाम है। हैरानी की बात है कि शिक्षा विभाग का मुख्यालय यहां पर है और उच्च अधिकारी भी यहीं बैठकर प्रदेश के स्कूलों की दशा सुधारने पर मंथन करते हैं। योजनाएं लागू करते हैं। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के उपायुक्त ने अंतिम तीन में रहने वाले जिलों के शिक्षा अधिकारियों को स्थिति सुधारने के लिए स्पष्ट हिदायत दी है। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं पदेन जिला परियोजना समन्वयक को भेजे पत्र में कहा गया है कि रैंकिंग में अंतिम तीन स्थान वाले बीकानेर, जैसलमेर और अजमेर को सूची में ऊपर लाने के लिए प्राथमिकता से मॉनिटरिंग की जाए। इसके अलावा प्रदेश के जिले एवं ब्लॉक के कमजोर रहे क्षेत्रों में सुधार के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्य योजना तैयार की जाए, ताकि आगामी माह में रैंकिंग में अपेक्षित प्रगति हो सके। इस संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका और उनके निजी सहायक दोनों का मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुआ।
हर माह होती है रैंकिंग
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से हर माह स्कूलों की रैंकिंग की जाती है। इसमें स्कूलों में सफाई, शिक्षकों तथा नामांकन की स्थिति, विद्यार्थियों को मिलने वाली विभिन्न योजनाओं की क्रियान्विति सहित कई ऐसे बिन्दु शामिल किए जाते हैं, जो स्कूलों की रैंकिंग सुधार सकें। इसकी हकीकत जानने के लिए सर्वे किया जाता है। इस सर्वे के आधार पर रैंकिंग तय की जाती है।
पूर्व शिक्षा मंत्री का जिला टॉप फाइव में
दस अक्टूबर को जारी की गई सूची में पूर्व शिक्षा मंत्री तथा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गाेविन्द सिंह डोटासरा का जिला टॉप फाइव में शामिल है। पहले स्थान पर जयपुर, दूसरे पर बूंदी, तीसरे पर श्रीगंगानगर, चौथे पर चूरू तथा पांचवें स्थान पर सीकर जिला है।
एक भी जिला प्रथम श्रेणी से पास नहीं
रैंकिंग कुल 375 अंकों की होती है जिसमें से जिलों को उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक मिलते हैं। हैरान करने वाली बात है कि प्रदेश का एक भी जिला ऐसा नहीं जिसने प्रथम श्रेणी के अंक हासिल किए हो। पहले नंबर पर रहने वाले जयपुर ने 375 में से 200.33 यानी 53.42 फीसदी अंक हासिल कर द्वितीय श्रेणी ही हांसिल की है।