बज्जू. सरकारी स्कूलों में एक जुलाई से शुरू होने वाली मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना अभी तक कागजों से धरातल पर नहीं उतर पाई है। नया सत्र शुरू हुए दो माह बीत चुके, लेकिन अभी तक स्कूलों में इस योजना के तहत बच्चों को पाउडर का दूध देना शुरू नहीं किया है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को दूध नहीं मिल रहा है। वहीं संस्था प्रधानों का कहना है कि सरकार की ओर से दिशा-निर्देश तो आ गए लेकिन स्कूलों में मिल्क पाउडर दूध कब से मिलेगा, इसकी तिथि व आदेश नहीं आए है। ऐसे में बच्चे अभी तक दूध का इंतजार कर रहे हैं। बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने व उनको स्कूलों से जोड़े रखने के लिए सरकार ने बाल गोपाल योजना में दूध देने की योजना शुरू की है। हालांकि सभी स्कूलों से नामांकन की स्थिति भी दी जा चुकी है और दूध की आपूर्ति करने वाली एजेंसी भी तय हो चुकी है, लेकिन उसके बाद भी अब तक दूध नहीं पहुंचा है। इस कारण बच्चों को अभी भी सप्ताह में 2 दिन मिलने वाले दूध का इंतजार है। शिक्षा विभाग ने एक जुलाई से मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार स्कूलों, मदरसों, संस्कृत विद्यालयों एवं विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में कक्षा एक से आठ तक अध्ययनरत विद्यार्थियों को मंगलवार व शुक्रवार को पाउडर का दूध देना निर्धारित किया।
चीनी की मात्रा भी तय
सरकार की योजना के अनुसार कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को 15 ग्राम पाउडर मिल्क की मात्रा (प्रति छात्र) के पाउच से इसे तैयार किया जाएगा। इससे बच्चों को 150 मिली लीटर दूध पीने को मिलेगा। इसमें चीनी की मात्रा 8.4 ग्राम रहेगी। इसी तरह कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 20 ग्राम पाउडर से दूध तैयार कर 200 मिली लीटर दूध पीने को दिया जाएगा। इसमें 10.2 ग्राम चीनी की मात्रा डाली जाएगी।
बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर
सूत्रों की माने तो सरकारी स्कूलों में ज्यादातर आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के विद्यार्थी पढ़ते हैं। इनमें से कई परिवार तो ऐसे है जिनमें भोजन का खर्च भी मुश्किल से निकलता है। ऐसे में इन बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। जिसकी वजह से प्रदेश भर में कुपोषित बच्चों के भी आंकड़े बढ़ रहे हैं। लाखों बच्चों को एक जुलाई से सप्ताह में 2 दिन डिब्बे वाला पौष्टिक दूध मिलना तय किया गया था।
पूर्व में था अन्नपूर्णा दूध योजना नाम
बच्चों को दूध देने की यह योजना पूर्व में भाजपा सरकार ने अन्नपूर्णा दूध योजना के नाम से शुरू की थी। इसके अंतर्गत सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को स्कूलों में ही दूध पिलाने की व्यवस्था थी। सरकार बदलने के बाद इसे बंद कर दिया। इसके बाद इस वर्ष के बजट में राज्य सरकार ने बाल-गोपाल योजना की घोषणा की है, इसमें दूध की बजाय मिल्क पाउडर से दूध बनाकर बच्चों को दिया जाएगा।