बीकानेर। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद ने कहा कि सुनवाई का अधिकार अधिनियम 2012और लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी अधिनियम 2011 के तहत आने वाली सेवाएं आमजन को उपलब्ध करवाने में अधिकारी समयबद्धता का विशेष ध्यान रखते हुए कार्य करें। जिला कलक्टर ने  बुधवार को इन अधिनियमों से संबंधित  विभागों के अधिकारी-कार्मिकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इन अधिनियमों का समुचित क्रियान्वयन  सरकार और प्रशासन की छवि निर्माण में सहायक है। सभी 27 विभाग अपने यहां आने वाले परिवादी से आवेदन प्राप्त कर संबंधित को रसीद देना सुनिश्चित करें। साथ ही तार्किक आधार पर प्रकरण को निर्धारित समय सीमा में निस्तारित कर परिवादी को राहत प्रदान करें। उन्होंने कहा कि सुशासन सुनिश्चित करने की दिशा में ये अधिनियम सरकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य इन अधिनियमों की बारिकियों से अवगत करवाते हुए कार्मिकों की जिज्ञासाओं का समाधान करना है। सांख्यिकी विभाग के संयुक्त निदेशक  इंदीवर दुबे ने प्रशिक्षण में मुख्य वक्ता के रूप में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस लोक सेवाएं प्रदान करने की गारंटी एक्ट में 27 विभागों की 287 सेवाओं को शामिल किया गया है। इस के तहत प्रत्येक परिवादी को अनिवार्यतः पावती देने व समयबद्ध निस्तारण का प्रावधान है। प्रशिक्षण में लोक सेवाएं सहायक निदेशक सवीना विश्नोई ने अधिनियम के तहत अपीलीय पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सुनवाई का अधिकार अधिनियम के तहत 15 दिन में सुनवाई करते हुए 7 दिन में परिवादी को सूचित करें। उन्होंने बताया कि तय समय सीमा में कार्य नहीं होने की स्थिति में संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के विरुद्ध आमजन को अगले स्तर पर अपील करने का अधिकार प्राप्त है। इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाते हुए सुशासन स्थापित करना है। प्रशिक्षण में संयुक्त निदेशक पेंशन ज्योति बाला, जिला रसद अधिकारी भागुराम सहित अन्य संबंधित अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।