बीकानेर। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के द्वारा14 दिवसीय कार्यशाला ‘‘शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र में आजीविका सुरक्षा के लिए कृषि प्रणाली और प्राकृतिक खेती‘‘का आयोजन आज गुरुवार को क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान बीकानेर में आरंभ किया गया। इस कार्यशाला में भारत के विभिन्न राज्यों के दस कृषि विश्वविद्यालयों के कुल 25 शोध विद्यार्थी भाग ले रहे हैं।उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजुवास एवं एसकेआरएयू बीकानेर के कुलपति डॉ.सतीश कुमार गर्ग और विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ.अमृताबन्धु साहू व क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डॉ.एन.डी. यादव व संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.बीरबल के द्वारा उद्घाटन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. गर्ग ने पशुआधारित कृषिप्रणाली पर जोर देते हुए शोधार्थियों को कृषि के आर्थिक प्रारूप को विकसित करने की सलाह दी तथा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए समन्वित कृषि प्रणाली को ही आधार बताया ।विशिष्ट अतिथि के रुप में एनआरसीसी के निदेशक डॉ. साहू ने जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए प्राकृतिक खेती पर जोर दिया तथा वर्षा जल संरक्षण आधारित कृषि मॉडल अपनाने की सलाहदी। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. एन. डी. यादव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए शुष्क क्षेत्रों में सफलतम खेती के लिए नवाचारों के बारे में बताया।कार्यशाला के मुख्य आयोजक डॉ. बीरबल ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं शोधार्थियों के लिए कार्यशाला के उद्देश्यों से प्रतिभागियों एवं मंच को अवगत कराया। इस कार्यशाला में शुष्क पारिस्थिति की तंत्र में आजीविका सुरक्षा एवं विभिन्न कृषि उत्पादन प्रणालियों की जानकारी देने के साथ-साथ प्रायौगिक तौर पर शोधार्थियों को तकनीकी जानकारी दी जाएगी। डॉ. रंजीत पीएस ने धन्यवाद प्रस्ताव दियातथा डॉ. शीतल के राधा कृष्णन ने कार्यक्रम का संचालन किया।