बीकानेर, प्रशासन जब माैन हाेता है ताे एक कलाकार जागता है। मुझ जैसे चित्रकार का काम है प्रशासन की ओर से दिए जख्मों को ठीक करवाना। ढिंढोरा पीट कर सभी को बताना। बहुत से व्यक्तियों को मैंने उनकी कमर में बंधी हुई पट्टी और डॉक्टरों के चक्कर काटते देखना है। कारण एक ही सड़कों की दुर्दशा। इसलिए मैंने पिछले 20 सालों से कैनवास को छोड़ दिया और मेरा कैनवास अब पब्लिक आर्ट के तहत पूरा शहर ही हो गया। मेरा प्रशासन से एक सवाल है कि वह पैसे गए कहां जो सड़कों के लिए मिले थे। मैंने जैसे ही सड़क पर मोटरसाइकिल गिराई और साथी कलाकारों ने मेरे ऊपर लाल रंग के छींटे दिए। उसी समय कई लोग भाग कर आए। चिल्ला उठे कि फोटो मत खींचो। प्रसन्नता हुई कि कम से कम शहरवासियाें काे एक दूसरे की चिंता है। नया शहर थाने से अधिकारी भी आ गए। माजरा देखते ही समझ गए कि नुक्कड़ नाटक है। ऐंसा नाटक करना ही क्यों पड़े। अगर यहां अव्यवस्थाएं ना हों। प्रशासन और राज्य सरकार स्वीकार करे कि वास्तव में जनता को उनके अधिकार मिल नहीं रहे। मैं ऐसी तमाम सड़कें जानता हूं जिनकी मरम्मत कागजों में हो गई लेकिन जमीन पर एक ना डामर ना गिट्टी। मैं अधिकारियों को जब चैलेंज करता हूं कि आप मेरे साथ आएं, मैं आपको बीकानेर की सफाई व्यवस्था दिखलाता हूं। लेकिन, उनकी हिम्मत इसलिए नहीं पड़ती क्योंकि वास्तव में अभी तक किसी भी वार्ड में सफाई व्यवस्था नहीं है। मैं जब तक समस्याओं पर अपनी कूची चलता रहूंगा, जब तक एलिवेटेड रोड या बाईपास के झांसे हकीकत में न बदल जाएं। जब तक आवारा पशु सड़कों पर दिखने बंद नहीं हो जाएं। जब तक मेरा शहर जो छोटी काशी के नाम से जाना जाता है वह सुंदर ना बन जाए। क्योंकि मैं चित्रकार हूं।
सड़कों की मरम्मत के लिए जरूरत 50 करोड़ की, मिले सिर्फ 25 करोड़ रुपए
दो विधानसभा क्षेत्र में फैले बीकानेर शहर की सड़कों की मरम्मत के लिए लगभग 50 कराेड़ रुपएकी जरूरत आंकी गई है। इससे इतर सरकार ने इस साल दाेनाें विधानसभा क्षेत्र काे मिलाकर करीब 25 कराेड़ रुपए मंजूर किए हैं। इसके अलावा जाे सड़कें बीते तीन सालाें में मंजूर हुई वे भी अब तक नहीं बनी हैं। यही वजह है कि बीते दो दशक में शहर के इतने बुरे हाल कभी नहीं हुए जो इस साल हैं। शहर की ऐसी कोई सड़क नहीं जो गड्ढा मुक्त हो। सरकार हर साल सड़काें के नाम और पैसाें का एलान करती है लेकिन जमीन पर आधा काम भी पूरा नहीं। 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में जाे सड़कें मंजूर हुई थी उनका भी काम अब तक पूरा नहीं हुआ। mइस साल फिर पूर्व और पश्चिम में सड़काें का एलान हुआ है। पीडब्ल्यूडी विभाग काे जब मंजूरी मिल गई ताे टेंडर प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए लेकिन ये काम भी फरवरी के बाद हाेगा। उसके बाद टेंडर और मरम्मत काम काम। तब तक फिर मानसून आ जाएगा।
चुनाव से पहले सड़काें की मरम्मत मुश्किल
अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सरकार लगातार सड़काें के लिए बजट मंजूर कर रही है, लेकिन हर साल आधी ही सड़कें बन रही। इसलिए इस साल काेशिश है कि चुनाव के वक्त जनता काे बताया जा सके कि सरकार ने इतने कराेड़ की सड़कें बनवाई। जबकि ये सड़कें बीते तीन साल से मंजूर हैं और चुनाव से डेढ़ साल पहले से लाेग गड्ढाें में चल रहे हैं।