
बीकानेर, पलाना के हड़मानाराम को उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद उनके परिजन शुक्रवार को पीबीएम के मेडिसिन इमरजेंसी लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने मरीज के शरीर में पानी की कमी होना बताकर पर्ची पर डेक्सट्रोज 25% इंजेक्शन लिखा। जब मरीज का रिश्तेदार गणपतराम इंजेक्शन लेने हॉस्पिटल के दवा वितरण केंद्र (डीडीसी) पहुंचा तो फार्मासिस्ट ने पर्ची पर नॉट अवेलेबल (एनए) लिख दिया। गणपतराम उदाहरण मात्र है, जिसे इमरजेंसी इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकना पड़ा। हॉस्पिटल में रोजाना आने वाले सैकड़ों मरीज गणपतराम की तरह आधी-अधूरी दवाइयां लेकर अपने घर या मरीज के पास पहुंच रहे हैं। शहर की डिस्पेंसरियों के हाल इससे भी बदतर है। यहां जुकाम, दर्द निवारक, एंटीबायोटिक सरीखी जरूरी दवाइयां भी नहीं मिल रही। भास्कर टीम ने शुक्रवार को मुफ्त दवा योजना की पड़ताल की तो चौकाने वाली तस्वीर सामने आई। चिंता की बात यह है कि संभाग के सबसे बड़े पीबीएम हॉस्पिटल में एंटीबायोटिक, दर्द निवारक इंजेक्शन, टेबलेट यहां तक की ब्लड प्रेशर और शुगर की दवाइयां भी नहीं मिल रही है। जबकि डीडीसी पर दवाइयों की उपलब्धता के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से दवाइयों की खरीद के हेल्थ डिपार्टमेंट कई बार आदेश जारी कर चुका है। हैरानी की बात है कि पीबीएम हॉस्पिटल प्रशासन प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की दवाइयों के स्थान पर निजी फार्मा कंपनियों की दवाइयां लेने में दिलचस्पी दिखा रहा है।
30 फीसदी दवाइयां नहीं, इसलिए भटक रहे मरीज
राज्य सरकार की ओर से करीब 1700 तरह की निशुल्क दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती है। हालांकि बीकानेर में 1000 दवाइयों की जरूरत ही आमतौर पर पड़ती है। लेकिन इन दवाइयों में से मरीजों को करीब 30 फीसदी दवाइयां मिल रही नहीं रही। ऐसे में उन्हें बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। पीबीएम हॉस्पिटल और शहर की डिस्पेंसरियों में एमोक्सीलिन 625 टेबलेट, सैफिक्स 200, सीपलोक्सिन 250/500, एंटीकोल्ड, मेटफोर्मिन, डिक्लोफेनाक, सीट्राजिन, एजेडआई-250, सीपीएम, पोविडोन 5% , एंटी कोल्ड सीरप, मेरोपेनम इंजेक्शन, ऑफलोक्स आरिनडाजोल टेबलेट, लिनेजोलिड, लैबटेलोल इंजेक्शन, पोविडोन 5% सरीखी जरूरी दवाइयां नहीं मिल रही है। मरीजों की यह परेशानी रात को और ज्यादा हो जाती है, जब बच्चा और जनाना हॉस्पिटल में महिलाओं को दवाइयों के लिए हॉस्पिटल परिसर से बाहर जाना पड़ता है। पीबीएम हॉस्पिटल में रोजाना करीब 5 हजार मरीजों का आना-जाना होता है। ऐसे में दवाइयां नहीं मिलने से मरीजों को होने वाली परेशानी को समझा जा सकता है।
ऑर्डर किया पर नहीं मिली दवाइयां
इस संबंध में हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉ. प्रमोद कुमार सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को दवाइयों के लिए पहले चरण में करीब 20 लाख रुपए का ऑर्डर दिया था, लेकिन उसके जयपुर स्थित अधिकृत विक्रेता ने दवाइयों की शॉर्टेज बता दी। समय-समय पर दवाइयों की लोकल खरीद की जाती है, ताकि मरीजों को डीडीसी के अलावा कहीं भटकना नहीं पड़े। जो दवाइयां डीडीसी पर नहीं मिल रही है, उनकी लिस्ट मंगवाकर जल्द ही उनकी लोकल या सरकारी केंद्रों से खरीद कर मरीजों को राहत पहुंचाई जाएगी। सरकार 15 लाख रुपए बिना स्वीकृति दवा खरीद के लिए उपलब्ध करवाती है, जिसकी बिल करने के साथ ही दोबारा राशि मिल जाती है।