बीकानेर. दूध उत्पादन और दूध से बने उत्पाद का बड़ा केन्द्र बन चुके बीकानेर की अर्थव्यवस्था एक सप्ताह में ही हिल गई है। गांवों में तेजी से देशी गायों को अपनी चपेट में ले रही लंपी डिजीज से रोजाना सैकड़ों गोवंश काल का ग्रास बन रहे हैं। इससे बीकानेर के दूध उद्योग को मिलने वाले दूध में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आ गई। परिणामस्वरूप जहां रसगुल्ला और दूध पाउडर बनाकर देश-दुनिया में भेजने वाले उद्योगों पर असर पड़ने लगा है। साथ ही आम लोगों को मिलने वाला दूध भी दो रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है। दूध डेयरियों पर अब दूध के दाम 38 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 40 और 42 रुपए पहुंच गए हैं।

डेयरी में रोजाना 15 हजार लीटर कम दूधउरमूल डेयरी के प्रबंधक बाबूलाल बिश्नोई ने बताया कि जुलाई में रोजाना ग्रामीण क्षेत्र से 72 हजार लीटर दूध की आवक हो रही थी। लंपी स्किन डिजीज के बाद दुधारू पशुओं के बीमार होने से दूध की आवक 15 हजार लीटर के करीब कम हो गई है। अभी 60 हजार लीटर से कम दूध ही रोजाना मुश्किल से मिल रहा है। एक निजी डेयरी संचालक ने बताया कि यहां पर दूध का पाउडर तैयार कर बड़ी कम्पनियों को आपूर्ति होती है। एक सप्ताह के दौरान दूध के पाउडर की मांग बढ़ने से कम्पनियां ज्यादा पाउडर की मांग कर रही हैं। जबकि दूध की आपूर्ति बीस प्रतिशत तक घटने से पहले जितना दूध पाउडर भी तैयार नहीं कर पा रहे हैं।

दो लाख लीटर दूध से बनते हैं रसगुल्ले

बीकानेर के दूध निर्मित उत्पादों में सबसे ज्यादा खपत रसगुल्ले में होती है। यहां से तैयार रसगुल्ला देशभर में भेजा जाता है। प्रमुख रसगुल्ला व्यवसायी गणेश बोथरा ने बताया कि रोजाना करीब डेढ़ से दो लाख लीटर दूध रसगुल्ला उद्योग में खपता है। अभी इसमें बीस प्रतिशत दूध की आपूर्ति की कमी का असर पड़ने लगा है। यदि गायों में बीमारी नियंत्रित नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में इस उद्योग पर संकट खड़ा हो सकता है।