बीकानेर, प्रदेशभर में गायों के लिए काल बनकर आया लंपी वायरस बीकानेर में भी सैकड़ों गायों की जिंदगी लील चुका है। सरकारी रिकार्ड में मौत का आंकड़ा अब तक साढ़े पांच सौ है, जबकि हकीकत में ये संख्या एक हजार से भी काफी ज्यादा है। उधर, जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के हाथ पांव अब फूलने लगे हैं। गांव-गांव अब पीड़ित गायों का पता लगाया जा रहा है। पशुपालन विभाग ने 22 जुलाई के बाद से लंपी वायरस की चपेट में आने वाली गायों का रिकार्ड संधारित करना शुरू किया। इसके बाद से अब तक दस हजार से ज्यादा गायों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है, जबकि आठ हजार के आसपास का इलाज अभी चल रहा है। संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र ने बताया कि हर ब्लॉक स्तर पर मोनिटरिंग की जा रही है अब तक दस हजार 293 गायों में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। इसमें आठ हजार 424 का इलाज चल रहा है। चार हजार 347 का इलाज भी हो चुका है। विभाग के पास अब तक 527 गायों की मौत का रिकार्ड है, वहीं गौपालकों का कहना है कि मौत एक हजार से ज्यादा हो चुकी है। सरकार ने 22 जुलाई से रिकार्ड रखना शुरू किया है, जबकि मौत पिछले एक महीने से हो रही है। 22 जुलाई के बाद मरने वाली सभी गायों का रिकार्ड भी नहीं रखा जा रहा है।
सबसे ज्यादा मौतें छत्तरगढ़ में
बीकानेर जिले में अब तक सबसे ज्यादा गायों की मौत छत्तरगढ़ में 175 हुई है। वहीं बीकानेर ब्लॉक में 29, खाजूवाला में 40, नोखा में 34, देशनोक में 38, बज्जू में 46, श्रीकोलायत में 45, डूंगरगढ़ में 38, पूगल में 14, छत्तरगढ़ में 175 और लूणकरनसर में 68 गायों की मौत हो चुकी है।
केस बिगाड़ कर लाते हैं
वरिष्ठ पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल व्यास का कहना है कि इस तरह की बीमारियों के बीच बड़ी संख्या में पशुपालक केस बिगाड़ देते हैं। वो पहले झाड़फूंक वालों के पास जाते हैं, इसके बाद भी ठीक नहीं होने पर पशु चिकित्सक के पास ले जाते हैं। तब तक केस पूरी तरह बिगड़ जाता है। रोग बढ़ने पर पशु को बचाना मुश्किल हो जाता है।
हर ब्लॉक पर नजर
वरिष्ठ डॉक्टर अनिल दाधिच का कहना है कि विभाग ने हर ब्लॉक से रिपोर्ट लेना शुरू कर दिया है। दवाओं की खरीद हो रही है, वहीं वैक्सीन की डिमांड भी की गई है। जल्दी ही बीकानेर में इस रोग पर काबू पाने की तैयारी है।