दो बच्चों की तलाश में एसडीआरएफ
दोनों को डूबते देख,उनके साथ आए दो अन्य बच्चे घबराकर भाग गए। हालांकि एसडीआरएफ और आसपास घूम रहे लोगों को शक है कि वह दोनों भी पानी में डूब न गए हो। पोंड में बाकी दोनों बच्चों की भी तलाश की जा रही है। इन दोनों बच्चों के बारे में भी अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है।
लाडले का शव देख बिलख उठी मां
मृतक बच्चा देव सरकारी हॉस्पिटल के सामने कच्ची बस्ती का रहने वाला था। उसकी मां हादसे की जानकारी मिलते ही वह सरकारी अस्पताल के लिए दौड़ पड़ी। हॉस्पिटल में बच्चों के शव देखते ही वह बिलख पड़ी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका लाडला अब दुनिया में नहीं रहा। परिजनों ने संभालने की कोशिश की। लेकिन वह बस रोए जा रही थी। रोते-रोत बेहोश तक हो गई।
सुबह उठकर स्कूल जाने से मना किया
देव के पिता दिलीप ने बताया कि उनका बेटा गांव नाइयांवाली के सरकारी स्कूल में 7th क्लास में पढ़ता था। सोमवार सुबह उसने स्कूल जाने से मना कर दिया। कुछ देर बाद घर से खेलने के लिए निकल गया। नम आंखों से बस इतना ही कह पाया कि बड़ी मुश्किल से ढोल बजाकर जिंदगी का जुगाड़ कर रहा था। उम्मीद थी कि बेटा बड़ा होकर सहारा बनेगा। अब वह अब कभी नहीं आएगा। देव को दो बहन और एक भाई और है।
हमेशा के लिए जुआ हो गया बेटा
यही हालत सन्नी के घरवालों की है। पिता हेतराम की रो-रोकर आंखे लाल हो चुकी है। गम में वह कुछ बोल भी नहीं पाया। बस इतना कहा कि, बच्चा रात को तो मेरे पास था। किसे पता था सुबह भगवान उसे छीन लेगा। सन्नी के तीन और भाई हैं।
2003 में बना था बोटिंग पोंड
जवाहर नगर के इंदिरा वाटिका में बने इस बोटिंग पोंड का निर्माण 2003 में हुआ था। निर्माण के बाद से इसकी तरफ सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। बोटिंग पोंड में शुरुआत में तो ठेकेदारों ने कुछ दिन तक तो बोट चलवाई लेकिन बाद में कोई ठेकेदार बोटिंग के लिए आगे नहीं आने से बोटिंग बंद कर दी गई। गहरे बोटिंग पोंड को लोग क्रिकेट पिच की तरह इस्तेमाल करने लगे। पिछले चार दिन से इलाके में हो रही बरसात से ये बोटिंग पोंड एक बार फिर पानी से भर गया। शहर के अधिकांश लोगों को पोंड की गहराई का अनुमान होने से वे इसके नजदीक नहीं जाते थे लेकिन दोनों बच्चों को यह अनुमान नहीं था और वे इसमें नहाने उतर गए। ऐसे में डूबने से उनकी मौत हो गई।