बीकानेर : नानी बाई रो मायरो का आयोजन 6 अगस्त से, कलश यात्रा के साथ होगी शुरू

बीकानेर। गोचर भूमि एवं पर्यावरण की सुरक्षा संरक्षण व संवर्धन हेतु भागीरथ नंदनी पार्क मीराबाई का धोरा पर 6 से 10 अगस्त तक भक्ति रस की सरिता बहेगी । ब्रह्म गायत्री सेवाश्रम सागर के गोवत्स पंडित आशीष शास्त्री प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक नानी बाई रो मायरा का वाचन करेंगे। गौ भक्त , पर्यावरण प्रेमी स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज दाता श्री ने बताया कि आज गौ माता की दशा किसी से छुपी नहीं है। गाय माता को बचाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं, वह नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। जबकि बीकानेर में हजारों बीघा भूमि गौ माता के नाम पर होने के बावजूद उसका सदुपयोग सिस्टम द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह एक पीड़ादायक विषय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कहीं जानी चाहिए।कथा के माध्यम से गौ, गोचर और पर्यावरण संरक्षण का यह संदेश जन-जन तक पहुंचेगा । इस संबंध में जानकारी देते हुए पंडित आशीष शास्त्री ने बताया कि समस्त गो भक्तजन द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
आयोजन से जुड़े दीपक पारीक ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत 6 अगस्त की सुबह 11:30 बजे कलश यात्रा के साथ होगी । यह कलश यात्रा सुजानदेसर स्थित बाबा रामदेव जी मंदिर से रवाना होकर मीराबाई धोरे पर कथा स्थल तक पहुंचेगी। तत्पश्चात विधिवत रूप से कथा आरंभ होगी।

पर्यावरण प्रेमी मिलन गहलोत ने बताया कि नानी बाई रो मायरो सुजानदेसर के मीराबाई धोरा में करने का उद्देश्य महज इतना ही है कि हम जनमानस को गोचर भूमि की उपयोगिता से अवगत करा सकें। आज बीकानेर शहर के आसपास करीब साढे 11 हजार बीघा भूमि गोचर के लिए दानदाताओं द्वारा छोड़ी गई है। संभवत पूरे भारतवर्ष में इतनी भूमि किसी शहर के नजदीक शायद ही होगी। लेकिन सिस्टम ने इसे उपेक्षित कर रखा है। जिसके नाम पर यह भूमि है उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है । जबकि यहां गौ माता के लिए अभयारण्य बनाया जा सकता है । वहीं पर अस्पताल की व्यवस्था भी की जा सकती है । पेयजल का प्रबंध हो सकता है और आंधी तूफान वर्षा से बचने के पर्याप्त इंतजाम भी किए जा सकते हैं । लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है की सिस्टम यहां पर ग्रीन फॉरेस्ट के नाम पर जमीन अधिकृत करना चाह रही है। यह गो हित पर कुठाराघात है । दूसरी और गाय माता और गोवंश गलियों की खाक छान रहे , भूख से व्याकुल इधर उधर भटकने पर विवश है। और बहुत सी गाएं तो गौशाला में दम घोटू वातावरण में रहने को विवश है । मिलन गहलोत ने आमजन से आग्रह किया है कि वह जनहित में गो हित में अपना अमूल्य योगदान दें, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब ना गोचर रहेगी और ना गाय दिखेगी।

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