ओलिंपिक में जीता गोल्ड, रोज 5KM रनिंग व 8 घंटे प्रैक्टिस, विदेश में लहराया परचम

कोटा, उम्र 15 साल, जन्म से न सुन सकती और न बोल पाती है। इसके बावजूद बैडमिंटन का ऐसा जूनून चढ़ा कि देश के साथ विदेशों में भी सफलता का शोर मचा दिया। ये है कोटा की बेटी गौरांशी। रामगंजमंडी की रहने वाली गौरांशी जन्म से ही मूक-बधिर हैं। गौरांशी ने मई में ब्राजील में आयोजित हुए डेफ ओलंपिक गेम्स में बैडमिंटन में देश को जीत दिलाते हुए गोल्ड हासिल किया है। इस जीत का जश्न ब्राजील से लेकर रामगंजमंडी तक मनाया जा रहा है। रामगंजमंडी पहुंचने पर गौरांशी का भव्य स्वागत हुआ। 16 किलोमीटर तक फूलों की बारिश की गई।

गौरांशी का जीत के इस पड़ाव तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। वह एक बार मौत को भी मात दे चुकी है। गौरांशी जन्म से मूक-बधिर हैं। दो साल की उम्र में खेलते-खेतले खौलता दूध उसके ऊपर गिर गया था। इसके चलते वह पचास फीसदी जल गई थी। आधा शरीर जल गया। डॉक्टर भी एक बार तो हार चुके थे, लेकिन 6 महीने तक चले इलाज के बाद भी माता पिता ने हिम्मत नहीं हारी। आखिर गौरांशी ठीक होकर वापस घर लौटी। उसी समय पिता गौरव शर्मा और मां प्रीति शर्मा ने ठान लिया की बेटी को उस मुकाम तक पहुंचाएंगे कि वह दूसरों के लिए एक मिसाल बन सके।

माता पिता भी मूक-बधिर, बेटी मचा रही सफलता का शोर
गौरांशी के माता पिता भी मूक-बधिर है। वे पहले गौरांशी को तैराक बनाना चाहते थे, लेकिन उसकी रुचि बैडमिंटन में थी, इसलिए उसको बैडमिंटन में स्पेशल कोचिंग एकेडमी में प्रवेश दिलाया। गौरांशी ने सात साल की उम्र से खेलना शुरू किया। वह रोज आठ घंटे प्रैक्टिस करती है। 20 किलोमीटर साइकिल चलाती है। इसके बाद पांच किलोमीटर की रनिंग। उसके पिता और मां का इस सफलता में बड़ा योगदान है। गौरांशी को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 2020 में एकलव्य खेल पुरस्कार के लिए भी चुना गया था।

बधाइयों का दौर जारी
गौरांशी की इस सफलता के बाद बधाइयों का दौर जारी है। एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बधाई दी है। शनिवार को पीएम मोदी ने भी मुलाकात की।

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