बीकानेर। बीकानेर पीबीएम संभाग की सबसे बड़ी अस्पताल के हालात ये है कि डॉक्टर्स कोई पर्ची में 6 से 7 दवा लिख दे तो उस पर्ची में से मरीज को 3 से 4 दवा ही वितरण की जाती है बाकी तो पर्ची पर बड़े-बड़े गोले लगा कर पर्ची वापिस दे दी जाती है यह कहकर की गोले वाली मेडिसन आप बाहर से ले ले अन्दर हॉस्पीटल में उपलब्ध नहीं है। बेचारा परिजन क्या करे पर्ची ली और हॉस्पिटल के बाहर दुकान पर गया और मेडिसन ली तो उसे पता चलता है कि जो मेडिसन अन्दर से मिली है वह तो कम किमत की मेडिसन अन्दर से मिली है और जो ज्यादा रूपये की मेडिसन है वह तो पर्ची पर गोले बनाकर बाहर से लाने को कह दिया। एकबाहर ऐसा हुआ की इमरजैन्सी (केजवल्टी) वहंा पर एक युवक आया उसके साथ कोई नहीं था उसको हॉस्पिटल के बाहर एक सज्जन व्यक्ति ने देखा तो उसको पेट में जोरों से दर्द हो रहा था तो उसे वह सज्जन व्यक्ति इमरजैन्सी में दिखाने के उसे ले आता है मरीज के पेट दर्द असहनीय पीड़ा थी डॉक्टर ने उसे तुरंत प्रभाव से देखा और मेडिसन लिख दी वह सज्जन व्यक्ति पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर गया और उसे वहा से कुछ गोलियां व कुछ इंजेक्शन दे दिये व मरीज के पास पहुंचा और वहां के नर्सिंग स्टॉफ को इंजेक्शन लगाने के लिए कहा तो कम्पोडर कहता है की 10 एमएल की सिरीज लाओ यह कहकर चला गया दूसरी और मरीज अपने पेट के दर्द से तड़प रहा है अब सज्जन व्यक्ति दोबारा उसे हॉस्पिटल के बाहर से सीरिज लानी पड़ी। सवाल यह नहीं है कि वह सीरिज के 5-10 रूप्ये की वह खरीद कर लाया सवाल यह है कि इसी तरह निशुल्क दवा ऐसी व्यवस्था और अब ये नि:शुल्क जांचे इसी तरह से नि:शुल्क की गई है।
दरअसल जनता ये जानना चाहती है कि सरकार के इस कार्यो में कमी किस कारण से हो रही है। क्या दवा जैसे वितरण होती है वैसे ही क्या जांचो में भी होगा की जब भी मरीज जांच करवाने जायेगा तब क्या बिजली गुल तो नहीं होगी, कहीं मशीने खराब तो नहीं हो जायेगी। कही स्टॉफ छुट्टी पर तो नहीं होगा ऐसे कारणों की वजहो से जांच आज तो नहीं होगी और तारीख देकर भेज दिया जायेगा। अगर आपको इमरजैन्सी है तो आप बाहर से जांच करवा लें। क्या ऐसी व्यवस्था नि:शुल्क जांचो में तो नहीं होगी?