दरअसल, कोरोना की पहली लहर में प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज के साथ ही बड़े अस्पतालों में कोरोना रोगियों की जांच के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने रिसर्च एनालिसिस्ट, सीनियर लेब टेक्नीशियन, लेब टेक्नीशियन और कम्प्यूटर ऑपरेटर की अस्थायी पोस्ट निकाली थी। राज्य भर में पांच सौ से ज्यादा युवाओं को इन पोस्ट पर रखा गया। इसमें रिसर्च एनालिसिस्ट तो पीएच.डी. या फिर एमबीबीएम डॉक्टर्स थी। इन लोगों ने दिन रात एक करके कोरोना के वक्त काम किया। एक ही दिन में हजारों की संख्या में टेस्ट की जांच करने से लेकर उसके आंकड़े संधारित करने का काम इन्हीं लोगों के पास था। चौबीस घंटे अस्पताल में रहकर भी इन लोगों ने काम किया। अब अचानक से इन्हें हटा दिया गया है।
हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वैभव गलारिया ने इस संबंध में राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को पद समाप्ति की सूचना दी है। इसके अलावा जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं है, वहां के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर को इस बारे में सूचना दी गई है। इन्हीं के अधीन ये संविदा कर्मचारी काम कर रहे थे।
इन जिलों से हट गए संविदाकर्मी
फिलहाल जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर के प्रिंसिपल, झालावाड़ के डीन, भरतपुर, भीलवाड़ा, बाडमेर, चूरू, पाली, सीकर व डूंगरपुर के प्रिंसिपल को भेजे आदेश में संविदाकर्मियों को तुरंत हटाने के निर्देश है। इसके अलावा झुंझुनूं, धौलपुर, नागौर, जालोर, बांसवाड़ा, श्रीगंगानगर, अलवर, सिरोही, चित्तौड़गढ़, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, प्रतापगढ़, राजसमंद, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बारां, बूंदी, केकड़ी और कोटपुतली के पीएमओ को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में राज्य के सभी जिलों से संविदाकर्मियों को हटा दिया गया है।
स्थायी कर्मचारी चलाएंगे लेब
पहले स्थापित कोरोना लेब बंद नहीं की जाएगी, बल्कि सरकार के पास उपलब्ध लेब टेक्नीशियन के माध्यम से इन लेब को संचालित किया जाएगा। सभी कॉलेज प्रिंसिपल व पीएमओ को यहां स्थायी कर्मचारियों को लगाने के आदेश दिए गए हैं।