राज्य सरकार ने नए संविदा कर्मचारियों की भर्ती के लिए नए नियम तो बना दिए लेकिन खुद संविदाकर्मी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। नए नियमों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे संविदा पर लगे कर्मचारियों को राहत जैसा कुछ मिल रहा है। अलबत्ता, सरकार ने फिर से दोहरा दिया है कि जैसे ही योजना खत्म होगी, संविदा कर्मी की नौकरी भी खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं वेतनमान में भी कोई सुधार नहीं किया गया है।
मंगलवार को राज्य सरकार ने नए संविदा नियमों को लागू कर दिया है। अब इन्हीं नियमों के तहत संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति मिलेगी। सरकारी कर्मचारी की तरह संविदा कर्मी भी साठ साल की आयु तक ही काम कर सकेगा लेकिन खास बात ये है कि जिस स्कीम में वो काम कर रहा है, वो पहले बंद हो गई तो उसकी नौकरी भी वहीं खत्म हो जाएगी। इसके लिए संविदा कर्मचारी को कुछ आर्थिक सहायता दी जाएगी। योजना के खत्म होने से पहले कर्मचारी को हटाया जाता है तो उसी अनुपात में अतिरिक्त वेतन दिया जाएगा।
नियुक्ति के लिए आयु
संविदा कर्मचारियों को नियुक्ति के लिए अधिकतम चालीस वर्ष की आयु होगी। वहीं अनुसूचित जाति व जन जाति सहित अन्य आरक्षण वर्ग में राहत मिलेगी। अधिकतम पांच वर्ष की राहत मिलेगी। साठ साल की उम्र में रिटायरमेंट होगा। किसी भी स्थिति में इस आयु के बाद काम का अवसर नहीं मिलेगा।
वेतन बढ़ोतरी
पहले की तरह संविदा कर्मचारियों को हर साल पांच प्रतिशत वेतन वृदि्ध ही मिलेगी। उम्मीद की जा रही थी कि वेतनमान लागू करके सरकार वेतन में बढ़ोतरी करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी संविदा कर्मचारी को नियमित कर्मचारी की तरह बोनस नहीं दिया जाएगा। संविदा कर्मचारी बोनस की डिमांड करते रहे हैं।
छुट्टियों का गणित ये होगा
संविदा कर्मचारियों को सालभर में अब बारह CL छुट्टियों मिलेगी। अगर कर्मचारी ने जनवरी के बजाय किसी अन्य महीने में जॉइन किया है तो उसी हिसाब से कटौती होगी। हर महीने की एक छुट्टी CL के रूप में मिलेगी। इसके अलावा बीस दिन की हाफ पेमेंट छुट्टी मिलेगी। ये मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर दी जाएगी। महिला संविदा कर्मचारियों को दो बच्चों के लिए 180 दिन की मैटरनिटी लीव दी जाएगी।
हटाने के नियम भी तैयार
संविदा कर्मचारियों को हटाने के लिए भी नियम बना दिए गए हैं। अब सरकारी कर्मचारी की तरह संविदा कर्मचारी को भी अनुचित कार्य करने, उच्चधिकारियों की बात नहीं मानने सहित अनेक कारणों से कभी भी सेवा से हटाया जा सकता है।
कर्मचारियों में आक्रोश
राज्य में संविदा कर्मचारी इससे ज्यादा अपेक्षा लगाए हुए थे। इसके विपरीत नए नियमों में सिर्फ पाबंदियां ही बढ़ाई गई है। संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश मंत्री किशोर व्यास का कहना है कि जो कर्मचारी पिछले पंद्रह साल से या दस साल से नौकरी कर रहे हैं। उन्हें राहत देने के साथ ही वेतन बढ़ाने के लिए सरकार को काम करना था। नए नियमों से बेरोजगारों को कोई लाभ नहीं होने वाला है। अलबत्ता सरकार ने सख्ती बढ़ाकर संविदा कर्मचारियों का नुकसान किया है।